पूर्व में प्रदेश के महज 14 जिलों में ही आपदा प्रबंधन का कार्यालय था। भाजपा सरकार ने हर जिले में इसका उद्घाटन किया। 29 जुलाई 2017 को पुलां स्थित इस कार्यालय का तत्कालीन गृह एवं आपदा मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य घटना-दुर्घटना होने पर तुरंत राहत पहुंचना है। टीम ने अब तक उद्घाटन से लेकर करीब 35 रेस्क्यू ऑपरेशन किए। अधिकतर रेस्क्यू गड्ढों में गिरे मवेशियों को बाहर निकाला। इसके अलावा गोगुन्दा व गंगूकुंड में तैराकों ने शव को ढूंढा। जहां आग लगी वहां पहुंचने से पहले ही दमकल ने उस पर काबू पा लिया।
कड़े नियम पर सिर्फ खानापूर्ति 1- ड्यूटी पर तैनात होने वाले स्वयंसेवक निर्धारित गणवेश, समय की पाबंदी एवं अनुशासन में रहेंगे।
हकीकत- प्रशिक्षण के बाद सभी को गणवेश दी लेकिन कोई नहीं पहनता है। ड्यूटी समय की पाबंदी तो छोड़ो, उन्हें कॉल कर घरों से बुलाना पड़ता है। कुछ को तो पांच-छह दिन में हाजिरी रजिस्टर में हस्ताक्षर के लिए बुलाया जाता है। अनुशासन के नाम पर सिर्फ इंजार्च, चालक, इलेक्ट्रिशियन सहित कुल 15 स्वयंसेवक ड्यूटी बजा रहे है।
हकीकत- ड्यूटी नहीं बजाते है, अनुपस्थिति डालने पर इंचार्ज को ही आंखें दिखाते हैं। 60 में से 35 की फिक्स ड्यूटी लगा रखी है, अन्य 25 को कोई नहीं पूछता। 7-8 राजनीति रसूख वाले हर माह मानदेय उठा रहे हैं।
हकीकत- आग लग जाए तो दमकल खराब। सभी को कॉल कर एकत्र मौके पर पहुंचे तब तक अन्य स्तर पर आपदा नियंत्रण अंतिम चरण पर होता है।
कोई ड्यूटी नहीं करता है पत्रिका टीम ने पूछताछ की तो वे एक बार हक्का बक्का रह गए। बाद में उन्होंने दबी जुबान में बताया कि कार्यालय को राजनीति अखाड़ा बना रखा है। राजनीतिक रसूख के दम पर कोई ड्यूटी नहीं करता है। कॉल कर ड्यूटी पर बुलाना पड़ता है। महज 15 लोग ही सक्रिय हैं। इसी कार्यालय में प्रशिक्षण लिया लेकिन कभी कोई घटनास्थल पर भी नहीं पहुंचा।