फैसले से अन्य विद्यार्थियों को मिलेगा हौसला
अंकिता ने कहा कि जब उसने एग्जाम से पहले अच्छी मेहनत की थी और उसका पेपर भी अच्छा हुआ था फिर भी उसे लगा कि नम्बर कम आए तो उसने रिवेल करवाया। अंकिता ने कहा कि जब उसके नंबर बढ़े तो उसने विवि को बताया लेकिन वे नहीं माने। पत्रिका से बातचीत में अंकिता ने कहा कि उसने हार नहीं मानी और सोचा कि यहां भी एक परीक्षा और देनी होगी तो उसने और मम्मी-पापा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया। अंकिता ने कहा कि उसकी मेहनत में कोई कमी नहीं थी तो नम्बर कम कैसे आ सकते है, इससे पहले भी जब-जब पुन: मूल्यांकन करवाया तो उसके नम्बर बढ़ेे थे। कोर्ट के फैसले पर अंकिता का कहना है कि आखिर कोर्ट ने उसकी सुनी और उसके पक्ष में फैसला हुआ। अंकिता कहती है कि पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान ही इसीलिए रखा गया है कि किसी के नम्बर गलती से गणना में कम है तो उसकी सही गणना हो जाये, इसके लिए बाकायदा फीस दी जाती है। इसके बावजूद विवि बढ़े हुए नंबर को आधार मानकर उसकी मेरिट को नही बदल रहा था जो गलत था।
READ MORE : उदयपुर में लाइसेंस के नाम पर ऐसे हो रही अवैध वसूली, कार्रवाई पर उठे सवाल… अंकिता इस निर्णय पर खुश है और कहा कि आखिर वही हुआ जो वह सोच रही थी, वही उसने मेहनत का परिणाम उसके सामने आया है और आगे भी इस फैसले से प्रतिभावान विद्यार्थियों के हौसले बुलंद रहेंगे।