राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय मामेर की कक्षा 10 में अध्ययनरत छात्र प्रकाश बामनिया पुत्र मीठालाल और राजूराम पुत्र सोहनलाल खैर से संबंधित है। दोनों छात्र नियमित अध्ययनरत हैं। दसवीं बोर्ड परीक्षा में दोनों विद्यार्थी पिछड़ गए। ऐसे में पूरक परीक्षा के लिए आवेदन किया गया। परीक्षा करीब आने पर छात्र प्रवेश पत्र लेने स्कूल पहुंचे तो प्रवेश पत्र नहीं मिले। बात परिजनों को पता चली तो स्कूल पहुंच गए। परिजनों ने हंगामा किया तो शिक्षकों ने मामला आगे नहीं बढ़ाने को कहकर छात्र राजूराम को 1500 रुपए दे दिए।
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परीक्षा से पहले लगातार तीन दिन तक प्रवेश पत्र के लिए स्कूल गए, लेकिन प्रवेश पत्र नहीं मिला। बच्चों को स्कूल के बजाय इ-मित्र से प्रवेश पत्र लेने की सलाह दी गई।
सोहनलाल खैर, छात्र के पिता
बच्चे स्कूल नहीं आए थे, इसलिए प्रवेश पत्र नहीं निकाले। उसके बाद मैं अवकाश पर चला गया था। सुधीर कुमार, परीक्षा प्रभारी, मामेर स्कूल दोनों बच्चे परीक्षा हो जाने के बाद स्कूल आए थे। जिससे प्रवेश पत्र नहीं मिले और वे परीक्षा से वंचित रह गए।
अमरचन्द पटेल, प्रधानाचार्य, मामेर स्कूल