----- एक बानगी... - डॉ आनन्द पालीवाल- वित्तीय अनियमितता के आरोपों को लेकर डीन पद से हटाने और नियुक्ति को लेकर संपूर्ण जांच के लिए कमेटियों के गठन मामले में पालीवाल हाईकोर्ट में विवि से लड़ाई लड़ रहे हैं।- हेमराज चौधरी व भीमराज पटेल- योग्यता को लेकर किसी शिकायत पर कमेटी बनाने के बाद कुलपति ने दोनों को बर्खास्त कर दिया। इस पर हाईकोर्ट में डबल बैंच के आदेश पर दोनों को फिर से ज्वाइनिंग देनी पड़ी, लेकिन वेतन अभी भी प्रोबेशन वाला मिल रहा है, इस पर दोनों के मामले कोर्ट में चल रहे हैं।
- मुकेश बारबर- असिस्टेंट रजिस्ट्रार से डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर हुई पदोन्नति नियम जो विवि के बोम से अनुमोदित थे। उन्हें गलत बताकर भूत लक्षित प्रभाव से शून्य कर दिए गए। इसे लेकर हाईकोई में मामला चल रहा है।- ललित टेलर व अन्य करीब 25 मंत्रालयिक व सहायक कार्मिक- सर्विस रेगुलाइजेशन के आधार पर चयनित वेतनमान यानी 9,18, 27 का लाभ देने का मामला। मामला बोम के निर्णय पर कोर्ट व सरकार ने पक्ष में निर्णय दिया है, लेकिन सब्जेक्ट टू कंडिशन पर निर्णय लिया इसके बाद अब तक विवि स्तर पर मामला पेंडिंग हैं।
- टीकमचंद दाकल- असिस्टेंट प्रोफेसर बायोटेक्नोलॉजी- सर्विस रेगुलाइजेशन में दो वर्ष की प्रोबेशन सेवा पूर्ण होने पर भी सेवा संतुष्टी प्रमाण पत्र डीन की ओर से मिलने के बाद भी रेगुलर नहीं किए गए। मामला अब तक उलझा हुआ है। मामले में राजभवन ने भी नियम-अधिनियम से रेगुलेशन करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर दाकल हाईकोर्ट गए हुए हैं।
-------- कई अन्य मामले भी...विवि में कई अन्य मामले भी कोर्ट में चल रहे हैं। करीब 125 से अधिक सर्विस मेटर, प्रोपर्टी मेटर मिलाकर कई विवाद कोर्ट में चल रहे हैं। -------
सरकार का स्टेडिंग ऑर्डर कि लगाए लोक अदालतराज्य सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कोर्ट में चल रहे मामलों के जल्द से जल्द निस्तारण के लिए स्टेडिंग ऑर्डर निकाले हुए हैं। इसमें स्पष्ट निर्देश है कि विवि में लोक अदालतों को लगाया जाए, ताकि मामले जल्द निपटें और विवि का राजस्व इस तरह के मामलों पर खर्च नहीं हो। लेकिन अब तक सुखाडिया विवि में एक भी लोक अदालत नहीं लगाई गई है।
-------- कई प्रोफेसर्स पर भी मामले - कागजों में 2012 की भर्ती हाल में गुरुकुल विवि के संयोजक के तौर पर गलत रिपोर्ट देने के मामले में प्रो अमेरिका सिंह के खिलाफ सरकार ने मामला दर्ज करवाया है, वहीं विवि के कई अन्य प्रोफेसर्स के मामले भी कोर्ट में चल रहे हैं। इतना ही नहीं सुविवि में वर्ष 2012 में हुई शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों पर हुई भर्ती में अनियमितताएं सामने आने के बाद अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इस भर्ती में पद लेकर बैठे कार्मिक बेहिचक नौकरी कर रहे हैं, जबकि वह भर्ती के समय पूरी योग्यता नहीं रखते थे।