वे पृथ्वी दिवस के मौके पर उदयपुर में आयोजित ‘सस्टेन मदर अर्थ’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वीडियो माध्यम से संबोधित कर रहे थे। सोमवार को संगोष्ठी का समापन हुआ। उन्होंने कहा कि हम पर्यावरण की बात करते हैं, क्या हमको पता है कि मदर और मां एक नहीं है। जिस दिन हमको मदर और मां का समान स्वरूप समझ आएगा, तब विज्ञान हमारी बातें समाहित करने लगेगा।
उन्होंने कहा कि बीज पेड़ बन जाएगा, लेकिन क्या इस बीच की प्रक्रिया में मां का दायित्व खत्म हो गया? मां की भूमिका को हम साथ में जोड़ पाए क्या? ये उतना ही जरुरी काम है, जितना बीज का है। क्योंकि, मां शरीर दे रही है, आत्मा को स्वरूप दे रही है। तो क्या हम पृथ्वी को इस रूप में देखते हैं? उन्होंने कहा कि क्या हम मां जैसी स्थिति पृथ्वी पर लागू नहीं कर सकते?
जैन धर्म के सिद्धांतों की जरूरत
संगोष्ठी में शंखेश्वरपुरम के विज्ञान तीर्थ के संस्थापक आचार्य लब्धिचन्द सागर ने भविष्य की योजनाएं बनाने का सुझाव दिया। चन्द्रयान मिशन योजना के संचालक नरेन्द्र भण्डारी ने पृथ्वी के एतिहासिक विकास और वर्तमान की स्थिति के बारे में बताया कि जैन धर्म के सिद्धांत की बहुत ही जरूरत है। वैज्ञानिक जेजे रावल ने कहा कि पृथ्वी बचाने के लिए विज्ञान और अध्यात्म दोनों की आवश्यकता है। मुनि सम्बोध कुमार ने मंगल पाठ के साथ जैन धर्म के सिद्धांत- अपरिग्रह और अहिंसा की जरूरत पर प्रकाश डाला।
गांव-किसान से बचेगा पर्यावरण
दिलीप धींग ने मांसाहार की जगह शाकाहार भोजन शैली अपनाने पर जोर दिया, जिससे अहिंसा और पर्यावरण की रक्षा हो। प्रगति के नाम पर हो रहे अनदेखे खर्चों पर ध्यान दिलाया। गांव-किसान नहीं तो पर्यावरण भी नहीं बचेगा। विमल वाखलु ने नई तकनीकों से पर्यावरण सुधार होने की संभावनाएं बताई। कर्नाटका के दयानन्द स्वामी ने बताया कि जैसे हम धर्म के की रक्षा करते हैं वैसे ही पृथ्वी की रक्षा करेंगे तो हमारी रक्षा होगी। उन्होंने गौ रक्षा आंदोलन की जानकारी दी। 900 अभियानों में 3 करोड़ पशुओं को बचाने की यात्रा बताई।
इनकी भी रही भागीदारी
डॉ. दौलत सिंह कोठारी शोध एवं शिक्षा संस्थान की ओर से विज्ञान समिति में आयोजित संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ थे। अध्यक्षता विमल वाखलु ने की। कुन्दनलाल कोठारी, सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, संजीव शर्मा, डॉ. आरके गर्ग, डॉ. एसएस कटेवा, चन्द्रशेखर माथुर, केपी तलेसरा, देवेन्द्र बलहारा, अनिल मेहता, जुनेद खान ने भी विचार रखे। डॉ. महीप भटनागर ने आभार जताया।