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स्वाध्याय से मिल सकती है ध्यान की सिद्धि

locationउदयपुरPublished: Sep 09, 2018 02:59:26 am

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

पर्युषण पर्व पर धार्मिक स्थलों में उमड़ा जैन समाज, प्रवचन के माध्यम से मुनिजनों ने दिया समाज को संदेश

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स्वाध्याय से मिल सकती है ध्यान की सिद्धि

उदयपुर. साध्वी गुणमाला ने कहा कि निमित्त से कर्मों का बंधन नहीं होता। श्रावक के पंच महाव्रत बताए गए हैं। उनका सभी को पालन करना चाहिए। स्वाध्याय में एक विशिष्टता है। स्वाध्यायी व्यक्ति दूसरों की आलोचना से, बुरे विचारों से खुद को बचा सकता है। स्वाध्याय करने वाला व्यक्ति ध्यान की सिद्धि में प्रवेश करता है, जिससे आत्मा निर्मल हो जाती है। अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण के दूसरे दिन शनिवार को स्वाध्याय दिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी ने कहा कि जहां संयम, अहिंसा एवं विकास हो। वहां धर्म होता है। साध्वी लक्ष्यप्रभा, साध्वी प्रेक्षाप्रभा एवं साध्वी नव्यप्रभा ने भी मौके पर स्वाध्याय का महत्व बताया। सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 9.30 से 11 बजे तक प्रवचन, तीन सामायिक, दो घंटे मौन, स्वाध्याय की नियमित साधना जारी है।
संतोष से जीवन में प्रसन्नता
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने पर्यूषण महापर्व के तीसरे दिन शनिवार को धर्मसभा में कहा कि राग और द्वेष कर्म के मूल हैं। मनचाहा जिसे मिल जाए वह नसीबदार है, पुण्यवान है। लेकिन, जो मिले उसे मनचाहा मान ले वह गुणवान है। वह समझदार है। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को मनचाहा व अनचाहा दोनों मिलता है। व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक है तो वह दोनों परिस्थिति में खुश रहेगा, लेकिन नकारात्मक सोच रखने वाला कितना भी मिल जाए असंतुष्ट ही रहेगा। मिले हुए खुश रहने वाला सदा खुश रहता है।
पौषध व्रत श्रावक का कर्तव्य
जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आयड़ तीर्थ पर वर्षावास कर रहे आचार्य यशोभद्र सूरिश्वर ने पर्यूषण महापर्व के तीसरे दिन कहा कि पौषध व्रत हर एक श्रावक को करना आवश्यक है। पर्यूषण पर्व आत्मा को पावन करने वाली यात्रा से शुरू होता है। यह जीवन को पूर्ण रूप से सरलीकरण करने के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है, अगर संवत्सरी के दिन साधु जीवन व्यतित करना मिल जाए तो श्रावक के लिए उत्तम दिन रहता है। महासभा मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि पर्यूषण महापर्व के पांचवे दिन आयड़ तीर्थ पर पहली बार महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक महोत्सव प्रात: 10 बजे धूमधाम से मनाया जाएगा। पर्यूषण महापर्व के चौथे दिन श्राविकाएं चुंदड़ी का उपवास करेगी।
बताया संवत्सरी प्रतिक्रमण का महत्व
जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पन्यास प्रवर श्रुत तिलक विजय ने पर्यूषण महापर्व के तीसरे दिन संवत्वरी प्रतिक्रमण के फल रहस्य की जानकारी दी। श्रावक-श्राविकाओं को इसकी विशेष अनुभूति महसूस की गई। संघ अध्यक्ष डॉ शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि रविवार को होने वाले स्वामिवात्सल्य में ३ हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं को बहुमानपूर्वक भोजन कराया जाएगा। श्रीसंघ के साथ जैन श्वेताम्बर महासभा आयड़ जैन संघ, थोब की बाड़ी श्रीसंघ एवं अन्य श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ भी इस आयोजन में शामिल होंगे।
आत्मशुद्धि से प्राप्त करें सम्यक ज्ञान व दर्शन
आचार्य शिवमुनि ने कहा कि सम्यक दर्शन और ज्ञान की प्राप्ति शास्त्रों से या बुद्धि से नहीं होती। इसकी प्राप्ति आत्मशुद्धि से होती है। इसके लिए स्वयं के भीतर छिपे मैं के भाव को त्यागना पड़ेगा। यह कार्य मैं कर रहा हूं, यह दान मैंने दिया है, यह कार्य मैंने कराया है। यह जो मैं का अहंकार है । यही आपको संसार की ओर ले जाता है। इससे भीतर जाने के लिए आत्मदृष्टिकोण बनाना पड़ेगा। आत्मदृष्टिकोण के माध्यम से ही आप भीतर प्रवेश कर पाओगे और सम्यक ज्ञान और दृष्टि को प्राप्त कर सकेंगे। आत्मदृष्टि से ही साक्षी भाव का जन्म होता है। महाप्रज्ञविहार में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य शिवमुनि ने कहा कि आत्मदर्शन के बिना कुछ नहीं हो सकता है। युवाचार्य महेन्द्र ऋषि ने कहा कि व्यक्ति गुणों को ग्रहण करने से ही गुणवान बनता है।
पर्व का तरीका त्याग है भोग नहीं
मुनि शास्त्रतिलक विजय ने कहा कि जैन धर्म का पर्व मनाने का तरीका भोग नहीं बल्कि त्याग है। इसीलिए पर्व के दिन जैन पौषध (800 दिन के लिए संसार त्याग की तालीम) करते हैं। जैन श्वेताम्बर मूूर्तिपूजक जिनालय संघ की ओर से हिरणमगरी से. 4 स्थित शंाति सोमचन्द्र सूरीश्वर आराधना भवन में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन आयोजित धर्मसभा मुनि ने कहा कि धर्म कहता है कि सुख भोग में नहीं त्याग में है। यह जानकारी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जिनालय समिति सेक्टर-4 के अध्यक्ष सुशील कुमार बांठिया ने दी।
आज मेहंदी रस्म, कल निकलेगी बिंदोली
उदयपुर. तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में आचार्य सुनीलसागर संघस्थ बाल ब्रह्मचारी विशाल भय्या ने सोलहकरण उपवास के तहत शनिवार को 14वां उपवास पूर्ण हुआ।
महिला मण्डल अध्यक्षा मंजूदावत ने बताया कि निर्जल व निराहार साधना के उपरांत हुमड़ भवन में विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। रविवार को मेहंदी रस्म एवं सोमवार सुबह 10 बजे सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से बिंदोली का आयोजन होगा। शाम ७.३० बजे भक्ति संध्या होगी। मंगलवार को ब्रह्मचारी विशाल का पारणा होगा। सकल दिगम्बर जैन समाज अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि पर्यूषण महा पर्व का शुभारम्भ 14 सितम्बर से होगा। इससे पहले शनिवार को धार्मिक प्रवचन के दौरान बड़ी संख्या में धर्मप्रेमियों ने उपस्थिति दर्ज कराई।

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