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आधुनिक भारत तथा हिन्दू संस्कृति के दैदीप्यमान नक्षत्र थे स्वामी विवेकानन्द

locationउदयपुरPublished: Jul 01, 2019 02:44:51 am

Submitted by:

Manish Kumar Joshi

‘स्वामी विवेकानन्द.हिन्दू संस्कृति के वैश्विक उद्घोषक’ विषयक संस्कार माला

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आधुनिक भारत तथा हिन्दू संस्कृति के दैदीप्यमान नक्षत्र थे स्वामी विवेकानन्द

उदयपुर . यदि तुम भारत को जानना चाहते हो तो तुमको विवेकानंद को पढऩा पड़ेगा।गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रौम्य रोलां को कही इन पंक्तियों को दोहराते हुए प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक ओमप्रकाश ने कहा कि स्वामीजी के व्यक्तित्व और विचारों में भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के श्रेष्ठ तत्व निहित थे। उनका संपूर्ण जीवन मां भारती और भारतवासियों की सेवा के लिए समर्पित था। वे आधुनिक भारत के एक आदर्श प्रतिनिधि होने के अतिरिक्त वैदिक धर्म एवं संस्कृति के समस्त स्वरूपों के उज्ज्वल प्रतीक थे।
वे रविवार को समुत्कर्ष समिति की ओर से ‘स्वामी विवेकानन्द.हिन्दू संस्कृति के वैश्विक उद्घोषक’ विषयक संस्कार माला के प्रथम सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज से एक सौ पच्चीस वर्ष पहले पराधीन और पददलित भारत के एकाकी और अकिंचन योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानन्द ने हजारों मील दूर विदेश में नितांत अपरिचितों के बीच जाकर अपनी ओजमयी वाणी से हिन्दू संस्कृति और भारतीय धर्म साधना के चिरंतन सत्यों का जय-घोष किया था। स्वामी विवेकानन्द सामायिक भारत के उन कुशल शिल्पियों में से हैं, जिन्होंने आधारभूत भारतीय जीवन मूल्यों की आधुनिक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में विवेक संगत वैज्ञानिक व्याख्या की।
उन्होंने कहा कि स्वामी जी का दृढ़ विश्वास था कि देश की भैतिक उन्नति एवं सामान्य जन की समृद्धि उतना ही आवश्यक है जितना व्यक्ति और समाज की आध्यात्मिक उन्नति। उनका सम्पूर्ण दर्शन गरीबी के अभिशाप में डूबी भारतीय जनता के कल्याण की कामना है। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द की सीख का उल्लेेख करते हुए कहा कि मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है। उससे मुंह मोडऩा धर्म नहीं है। अगर तुम्हें भगवान की सेवा करनी है तो मानव की सेवा करो।
विशिष्ट अतिथि अनुष्का अकादमी के निदेशक राजीव सुराणा ने कहा कि भारत के लिए स्वामी जी के विचार, चिंतन और संदेश प्रत्येक भारतीय के लिए अमूल्य धरोहर है तथा उनके जीवन शैली और आदर्श प्रत्येक युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत्र हैं।
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