scriptvideo: उदयपुर के इस हाई-वे से गुजरो तो रखना विशेष ध्यान….टोल चुकाकर भी हर मोड़ पर मिल रही है मुसीबत | Take special care from this highway in Udaipur | Patrika News

video: उदयपुर के इस हाई-वे से गुजरो तो रखना विशेष ध्यान….टोल चुकाकर भी हर मोड़ पर मिल रही है मुसीबत

locationउदयपुरPublished: May 25, 2019 01:54:22 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

मरम्मत के नाम पर सालाना 2.5 करोड़ खर्च करने के बाद भी एनएचएआई नहीं दे पा रहा है सुविधाएं, डिवाइडर प्लांटेशन के नाम पर उठता है हर माह 25 लाख रुपए

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डॉ. सुशील कुमार सिंह/ उदयपुर. उदयपुर-पिण्डवाड़ा वाया गोगुंदा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) संख्या 76 पर करोड़ों रुपए की मासिक टोल वसूली के बावजूद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) अपने वाहन सवारों को आवश्यक सुरक्षा एवं सड़क सुविधा मुहैया कराने में फेल हो रहा है। कहने को वाहन सवारों को सुविधा के नाम पर सड़क मरम्मत पर सालाना २.५ करोड़ खर्च हो रहे हैं, लेकिन खर्च का उपयोग कहां और कैसे हो रहा है। इस बारे में प्राधिकरण के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। वाहन सवारों को इस मार्ग पर होने वाली ऐसी ही परेशानी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने हकीकत की टोह ली तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पूरी पड़ताल में ही ऐसा लगा कि मानों सड़क बनाने के बाद प्राधिकरण उसके उपभोक्ताओं से केवल वसूली ही कर रहा है। इसके अलावा उनकी सुरक्षा और सुविधा ताक पर रखी हुई है।
सच है कुछ ऐसा
करीब 200 करोड़ से अधिक लागत से निर्मित सड़क की देखरेख और सुविधा के नाम पर टोल वसूली हो रही है। एनएच 76 पर किलोमीटर ०/० से 104/० तथा किलोमीटर 248/० से 264/० निर्मित सड़क की मरम्मत एवं अन्य सुविधा के नाम पर संंवेदक एजेंसी को मासिक 25 लाख रुपए का भुगतान हो रहा है। मार्ग पर कुल 3 एंबुलेंस, 3 पेट्रोलिंग वाहन, 3 क्रेन के अलावा डिवाइडर पर लगे पौधों की सिंचाई, किनारों की नालियों की मरम्मत व झाडिय़ों की सफाई कार्य इसमें शामिल है।
अंधेरे में ‘मौतÓ
मार्ग के जंगली इलाके से होकर गुजरने वाली सड़क पर उदयपुर की ओर से जाने पर उखलियात में पहली सुरंग पड़ती है। तेज दोपहरी में चौंधियाती हुई आंखों के सामने आने वाली सुरंग से आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। इस बीच अंधेरे में घुसने से पहले अगर, भैंस खड़ी हो तो वाहन सवार की दुर्घटना होना तय है। सुरंग में करीब 150 बिजली बल्व हैं, लेकिन केवल 8 बल्व ही जलते हैं। 24 घंटे में 12घंटे इस सुरंग में अंधेरा बना रहता है। मार्ग पर अगली सुरंग खोखरिया की नाल में पड़ती है, जिसके भीतर लाइटों जैसी कोई सुविधा नहीं है।
108 की सुविधा फिर भी भुगतान!
मरम्मत बजट में शामिल एंबुलेंस एवं अन्य तकनीकी वाहनों के लिए प्राधिकरण ने कोई पोइंट निर्धारित नहीं कर रखा है। ये गोगुंदा टोल पर खड़े रहते हैं। हाई-वे के मुताबिक इन वाहनों की क्षमता भी नहीं है। खुद प्राधिकरण इस बात को मानता है। खास यह है कि वर्तमान में हाई-वे पर जसवंतगढ़ सहित अन्य सीएचसी व पीएचसी में रोगी वाहन 108 की मौजूदगी है। ऐसे में हाई-वे की एंबुलेंस का उपयोग नहीं के बराबर होता है। अन्य वाहनों के उपयोग को लेकर भी कोई खाका नहीं है। दुर्घटना के दौरान ग्रामीण भी 108 डायल कर एंबुलेंस बुलाते हैं।
दूर-दूर तक सूखे पौधे
बात प्लांटेशन की करें तो डिवाइडर के बीच में बहुत से हिस्से ऐसे हैं, जहां कई किलोमीटर तक पौधों का अस्तित्व ही नहीं है। केवल सूखी मिट्टी दिखाई देती है। सुरंगों के आगे और बीच-बीच में सड़क किनारे नालियों की सफाई एवं झाडिय़ों की कटिंग नहीं हो रही। नियम से डिवाइडर में प्लांटेशन का महत्व रात में वाहनों की लाइटों की होने वाली क्रोसिंग से है। प्लांटेशन से रात में होने वाली दुर्घटनाएं कम होती हैं।
तत्काल लेंगे जवाब
ठेकेदार के काम काज में शर्तें शामिल हैं। शिकायत मिली है तो उससे पूछताछ कर स्पष्टीकरण लेंगे। जेबरा क्रोसिंग एवं डिवाइडर पर पेंट का ठेका शर्तों में शामिल नहीं है। काम कराने पर संबंधित ठेकेदार को अलग से भुगतान करते हैं।
सुनील यादव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई, उदयपुर
बिजली की समस्या
सुरंग क्षेत्र में विद्युत निगम की ओर से केवल 6 घंटे थ्री फेज बिजली की सुविधा है। शर्तों के तहत संवेदक 6 घंटे जेनरेटर से बिजली देता है। शेष अवधि में सिंगल फेज सप्लाई में बिजली जलती है। हमारी मजबूरी है।
हरीशचंद्र, मैनेजर, एनएचएआई
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