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Women’s Day 2018 : समाज में बदलाव के लिए महिलाओं को बनना होगा ‘गेम चेंजर’, पत्रिका के टॉक शो में बोलीं महिलाएं

locationउदयपुरPublished: Mar 08, 2018 02:58:52 pm

Submitted by:

madhulika singh

– विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला सशक्तिकरण पर पत्रिका का टॉक शो. विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं ने बांटे अनुभव और बताई खुद से बदलाव की जरूरत

patrika talk show
उदयपुर . वो शक्ति है, सशक्त है, वो भारत की नारी है, न ज्यादा और ना कम में, वो सब में बराबर की अधिकारी है। जी हां, वो नारी है। आज हमारे देश की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। देश की रक्षामंत्री महिला हैं तो प्रदेश की मुख्यमंत्री भी महिला हैं। हमारी बेटियां फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं तो कम उम्र में तैराकी में कीर्तिमान बना रही हैं। शक्ति की इसी उड़ान को बनाए रखने के लिए और उन्हें आगे से आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है विश्व महिला दिवस।
विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान पत्रिका की ओर से मंगल फन स्क्वायर स्थित पत्रिका कार्यालय में टॉक शो रखा गया। इसमें समाज में महिलाओं में आए बदलाव और महिला सशक्तिकरण पर मंथन किया गया। मंथन के निचोड़ के रूप में सामने आया कि भारत में ही नहीं वरन् पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय है इसके बावजूद हम 21वीं सदी में रह रहे हैं। किसी अन्य से अपेक्षा करने के बजाय बदलाव महिला को स्वयं से शुरू करना होगा। महिला को अपने अंदर ही एक क्रांति लानी होगी। प्रश्न महिला या पुरुष का नहीं बल्कि मानसिकता का है। मानसिकता को भी बदलने की जरूरत है। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आईं सबलाओं ने ये व्यक्त किए विचार :-
महिलाओं से हो इंसानों सा व्यवहार

महिलाओं से इंसानों सा व्यवहार हो। महिलाएं सशक्त हैं परन्तु उनकी ऊर्जा को नकारात्मकता से रोका जाता है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। देश में ही नहीं, पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति दयनीय है परन्तु एक सशक्त महिला पूरे परिवार को ही नहीं पूरे समाज को संभाल सकती है। प्रश्न महिला या पुरुष का नहीं मानसिकता का है, सत्ता का है।
रागिनी शर्मा, एडवोकेट
महिलाओं को बनना होगा चेंज एजेंट

महिलाओं को चेंज एजेंट बनना होगा। उन्हें क्रांतिकारी अभियान की शुरुआत खुद को बेहतर बनाने से करनी होगी और इस दयनीय स्थिति से खुद को निकालना होगा। समाज में कई सारे सेटअप्स हैं जिसे स्त्री को बदलना है जैसे आज भी दहेज प्रथा का हमारे समाज में चलन है, कानूनों का गलत उपयोग हो रहा है इसके प्रति सोचना होगा और भौतिकता के पीछे भागना छोडऩा होगा। महिलाओं को दिखावा करना छोडऩा होगा।
शैलजा देवल, उप वन संरक्षक
कत्र्तव्य और अधिकारों में हो सामंजस्य

पुरानी पीढ़ी को कत्र्तव्य पता थे, अधिकार नहीं और आज नई पीढ़ी को अधिकार पता हैं लेकिन कत्र्तव्य नहीं पता। दोनों में संतुलन बनाकर चलने की आवश्यकता है। स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता में नारी फर्क समझें। महिलाएं परिवार की धुरी हैं। परिवार सशक्तिकरण करने की जरूरत है। स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, ये बात समझनी होगी। रील और रीयल लाइफ में अंतर समझना होगा। महिलाएं छद्म अहसास से बाहर आएं।
– डॉ. गायत्री तिवाड़ी, साइंटिस्ट एंड नेशनल टेक्निकल कोऑर्डिनेटर, मानव विकास एवं पारिवारिक संबंध विभाग, होमसाइंस कॉलेज
आत्मसम्मान की भावना को बढ़ाएं
महिलाओं का आत्मसम्मान बहुत कम हो गया है, उसको महिला को ही बढ़ाना है। किसी मौके या किसी के सहयोग की अपेक्षा ना करें, खुद अपने लिए मौका बनें और खुद अपनी सहायता करें। भले ही आप होममेकर हो, कॉरपोरेट वुमन हो या फिर किसी अन्य फील्ड से हों आप सभी के पास एक अंदरूनी शक्ति है तो अपने मन से हर तरह का डर निकाल दें और दुनिया जीतने को तैयार रहें।
– डॉ. प्रीति पंवार सोलंकी, मिसेज यूनाइटेड नेशंस
शिक्षा से हर चीज संभव

महिला सशक्तिकरण एक बहुत बड़ा मुद्दा पूरी दुनिया के लिए है। शिक्षा महिला सशक्तिकरण की एक कुंजी है। शिक्षित महिला अपने सपनों को पूरा कर सकती है और खुद को आगे बढ़ा सकती है। हमें जो अच्छा लगता है, जो चीज खुशी देती है है वही काम करना चाहिए। समाज में बदलाव लाने के लिए महिलाओं को चेंज एजेंट बनना होगा।
– प्रीति रांका, निदेशक, पेराकासा इंटीरियो
आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनें महिलाएं

आज हम महिलाओं को बराबरी का मानते हैं लेकिन हमारी सोच में जितना बदलाव आना चाहिए, उतना नहीं है। ये बदलाव लाना है। बेटे-बेटी का विकास समान हो, जेंडर फर्क नहीं हो। बेटों को महिलाओं का सम्मान करने की शिक्षा बचपन से ही दी जाए। साथ ही महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता बहुत जरूरी है। आर्थिक रूप से किसी पर निर्भरता खत्म करनी होगी। इसके अलावा शिक्षा में सरकार ऐसे कार्यक्रम जोड़े जो टीम वर्क को बढ़ावा दे। वहीं, महिला उत्पीडऩ पर सरकार सख्त कानून बनाए व न्याय जल्दी मिले।
– माया कुंभट, अध्यक्ष, वुमन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज
पर्दा प्रथा से बाहर निकलना होगा

समाज में महिलाओं के प्रति नजरिया बदल जरूर रहा है लेकिन आज भी महिलाओं को बहुत मजबूत करने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम तो खुद को पर्दा प्रथा से बाहर निकालना होगा। समाज के जो ड्रॉ बैक्स हैं, खत्म करने होंगे। इसके अलावा सबसे ज्यादा जरूरी महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा।
– डॉ. मधुबाला चौहान, सीनियर प्रोफेसर, पन्नाधाय महिला चिकित्सालय
एक सुखद बदलाव आया समाज में

शिक्षा ने एक बड़ा बदलाव समाज में लाया है। एक सुखद बयार आई है। जब बात कॅरियर की आती है तो माता-पिता समान स्तर पर बेटे और बेटी के लिए सोचते हैं, समान रूप से खर्च करते हैं। आर्थिक स्वतंत्रता एक बहुत बड़ा पहलू है जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने के लिए।
– कल्पना गोयल, अध्यक्ष व संस्थापक, तारा संस्थान
बदलाव के लिए स्वयं करने होंगे प्रयास

जो बदलाव महिला अपने लिए समाज में चाहती हैं, उसके लिए उन्हें स्वयं प्रयास करने होंगे। महिलाओं को आत्मनिर्भर होना होगा और ये तब ही संभव होगा, जब वे शिक्षित हैं। शिक्षा का उजियारा गांवों तक पहुंचाना होगा। महिलाओं को शिक्षित करना होगा। साथ ही सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाना होगा।
-ऊषा डांगी, उपप्रधान, बडग़ांव
महिला सुरक्षा के लिए कड़े कानून की जरूरत

कई मायनों में समाज में बदलाव आया है। महिलाएं अब दोहरी भूमिकाएं निभा रही हैं और इसमें कई हद तक अब पुरुष भी उनका साथ दे रहे हैं। मगर जहां तक सुरक्षा की बात है, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, ना ही घर में और ना ही बाहर। इसके लिए कड़े कानून बनाने होंगे और उन्हें लागू करना होगा। जिससे लोगों में कानून का डर पैदा हो। ये सब होने से आज महिलाएं जितना आगे बढ़ी हैं, उससे कहीं ज्यादा वे अपने मुकाम को पा सकती हैं।
-डॉ. गुनीत मोंगा भार्गव, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी ऑफ योगा, पेसिफिक यूनिवर्सिटी
सोच बदलनी होगी

महिलाओं को खुद के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी। वे भी सम्मान की हकदार हैं। आज समाज में जो बदलाव आया है, वह काफी नहीं है। इसके लिए और प्रयास करने होंगे। ये बदलाव वे खुद ही ला सकती हैं। जो कुछ गलत हो, उसके खिलाफ अपनी आवाज उठानी होगी।
कविता जोशी, सरपंच, शोभागपुरा
हर कोशिश खुद के लिए

आज ऐसा कोई प्रोफेशन नहीं है जहां महिलाएं कार्य नहीं कर रहीं। हर क्षेत्र में वे नए कीर्तिमान रच रही हैं। महिलाएं आत्मविश्वासी बनें और खुद का सम्मान करें। हर वो काम करे जो वो खुद से उम्मीद रखती है, चाहे कितनी ही नेगेटिविटी, वह हर कोशिश स्वयं के लिए करे।
– डॉ. शैलेंद्रा कुमारी चूण्डावत, अतिरिक्त जिला नोडल अधिकारी
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