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श‍िक्षक द‍िवस वि‍शेष : इस दिव्यांग शिक्षक के जज्बेे को कीज‍िए सलाम , जिस विद्यालय में सेवाएं दी, छोड़ी अमिट छाप

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उदयपुरSep 05, 2018 / 09:50 am

Pankaj

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उदयपुर . भीण्डर क्षेत्र के कुण्डई गांव में कार्यरत एक दिव्यांग शिक्षक, जो खुद पैरों पर खड़ा होने के लिए बैसाखियों का सहारा लेते हैं, लेकिन काम के प्रति जज्बा ऐसा कि जिस किसी सरकारी स्कूल में सेवाएं दी, वहां की तस्वीर ही बदल दी। मानो कि सरकारी स्कूल को प्राइवेट स्कूलों जैसा बना दिया। हम बात कर रहे हैं भीण्डर निवासी सरकारी शिक्षक पंकज वया की। अपनी राजकीय सेवा के १३ वर्ष के दरमियान जिस किसी विद्यालया में सेवाएं दी। उनके लिए समर्पित होकर काम किया। उन विद्यालयों को निजी स्कूलों की प्रतिस्पद्र्धा में ला खड़ा किया। इन्होंने जहां कहीं सेवाएं दी, अमिट छाप छोड़ दी। शिक्षक दिवस के अवसर पर सेवा को समर्पित दिव्यांग शिक्षक का उदाहरण सभी के लिए प्रेरणादायी है। शिक्षक पंकज वया के जज्बे को देखकर अन्य शिक्षक, अधिकारी, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण अचंभित हैं। वर्तमान में कुण्डई के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में बतौर बतौर प्रधानाध्यापक कार्यरत वया इससे पहले अमरपुरा (जागीर), बांसड़ा, बडग़ांव के विद्यालयों में सेवाएं दे चुके हैं।
कुण्डई के बच्चों का बढ़ा दायरा
कुण्डई राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का संचालन गांव के बीच चार कमरों में हो रहा था। नए विद्यालय परिसर के लिए दस साल पहले गांव से बाहर 8 बीघा जमीन आवंटित हुई थी, लेकिन किसी ने भी विद्यालय संचालन की नहीं सोची। पिछले साल कुण्डई में नियुक्त हुए वया ने यहां आते ही प्रयास शुरू किए। कक्षा कक्षों की मांग की, लेकिन 2 कमरों की ही स्वीकृति हुई। आखिर गणतंत्र दिवस समारोह नई जगह करने का निर्णय किया। सहयोग की शुरुआत वया ने ही करते हुए कक्षा कक्ष निर्माण के लिए २१ हजार की घोषणा की। प्रेरित होकर शिक्षकों ने भी 11-11 हजार रुपए की घोषणा कर दी। आखिर 8 लाख 60 हजार रुपए जुटा लिए गए। नए सत्र से कक्षा 6 से 12वीं की कक्षाएं नए परिसर में संचालित कर दी।
चार विद्यालयों की बदली तस्वीर
प्रधानाध्यापक वया १३ वर्ष से सेवारत हैं। पिछले तीन साल से प्रधानाध्यापक पद पर रहते तीन विद्यालयों की तस्वीर बदली। विद्यालयों में सुविधाएं जुटाने के साथ ही शिक्षा स्तर में भी सुधार करवाया। राउप्रावि मठ (भीण्डर) की जमीन व भवन के लिए जनसहयोग जुटाया। रामावि अमरपुरा (जागीर) में जनसहयोग से सरस्वती मन्दिर की स्थापना, राउमावि बांसड़ा में विद्यालय प्रवेशद्वार के साथ निर्माण कार्य हुए।
हाइटेक हुए बडग़ांव स्कूल
रामावि बडग़ांव में वया 2015 से पदस्थापित हुए। विद्यालय परिसर की काया पलट के लिए कार्य योजना बनाई। उसी अनुरूप कार्य करते हुए विद्यालय को आधुनिक सुविधा युक्त बना दिया।

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