सरकार ने आदेश तो जारी कर दिए कि संभाग स्तर पर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में शारीरिक शिक्षकाओं को आत्मरक्षा की तकनीक और मार्शल आर्ट सिखाना है लेकिन स्कूल स्तर पर यह संभव होगा या नहीं यह नहीं सोचा। अधिंकांश ब्लॉक में एेसे विद्यालय भी हैं जहां न तो शारीरिक शिक्षिका है और न ही शिक्षिका, जबकि उस उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय में बालिकाएं पढ़ती है।
जिले के अलग-अलग ब्लॉक में आयोजित १० दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों की स्थिति पर नजर डालें तो झल्लारा में ६४ में से २२ शिक्षक, कुराबड़ में ६३ में से ८, गोगुंदा में ५१ में से २३, ऋषभदेव में ७१ में से १६, भीण्डर में १८३ में से १०८ पुरु षों को मास्टर ट्रेनर की ओर से आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है।
छात्राओं को आत्मरक्षा में दक्ष बनाने के लिए सभी विद्यालयों में शारीरिक शिक्षिका या उनके अभाव में अन्य शिक्षिका को मास्टर ट्रेनर ब्लॉक शिविर में तकनीक सिखा रहे हैं। जहां शिक्षिका पदस्थापित ही नहीं है और बालिकाएं उस विद्यालय में नामांकित है तो उन्हें भी प्रशिक्षण देना है इसलिए शिक्षक को भी प्रशिक्षण में शामिल किया जाए।