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टेक्नोलॉजी बताएगी फल, सब्जी, फसलों के खराब होने की वजह

locationउदयपुरPublished: Feb 06, 2020 11:59:47 am

चंद दिनों में पता चलेंगे फसलों के रोग और अनुकूलता
– उदयपुर में फाइटोट्रोन तकनीक विकसित करने की तैयारी- दिल्ली के बाद देश में दूसरा स्थान उदयपुर
– एमपीयूएटी ने भेजा प्रस्ताव

टेक्नोलॉजी बताएगी फल, सब्जी, फसलों के खराब होने की वजह

टेक्नोलॉजी बताएगी फल, सब्जी, फसलों के खराब होने की वजह

पंकज वैष्णव/उदयपुर . कृषि और उपज की उच्च तकनीक ‘फाइटोट्रोनÓ उदयपुर में स्थापित करने की तैयारी की गई है। इसके लिए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग को प्रस्ताव भेजा है। सब कुछ ठीक रहा तो उदयपुर देश का दूसरा स्थान बन जाएगा, जहां फाइटोट्रोन तकनीक से काम होगा। वर्तमान में फसलों के लिए अनुकूलता और रोगों पर शोध में जहां वर्षों लगते हैं, वहां फाइटोट्रोन तकनीक में बहुत कम समय में परिणाम सामने होंगे। यहां शोध करने वाले कृषि शिक्षा शोधार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने का मौका मिलेगा।
यह है फाइटोट्रोन तकनीक
फाइटोट्रोन एक शोध प्रणाली है। यह पौधों की वृद्धि के लिए पर्यावरणीय परिस्थितियों का अध्ययन करने में मदद करती है। विशेष चेंबर बनाकर धूप, तापमान, हवा, नमी आदि का बारीकी से अध्ययन किया जाता है। वर्तमान में कृषि वैज्ञानिक किसी भी फसल पर शोध के लिए खेतों में वातावरण तैयार करते हैं। इसके लिए अधिक खर्च और कई साल लगते हैं। फाइटोट्रोन तकनीक में उपज को हर तरह का वातावरण देकर बारीकी से अध्ययन करना आसान होता है। इससे कृषि वैज्ञानिकों का समय और खर्च बचेगा।
देश-दुनिया में यहां उपयोग
फाइटोट्रोन तकनीक की शुरुआत 1949 में केलिफॉर्निया अमरीका स्थित कृषि विश्वविद्यालय से हुई थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, हंग्री, इंग्लैण्ड आदि कुछ देशों में तकनीक का इस्तेमाल किया गया। देश में वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली में फाइटोट्रोन विकसित किया हुआ है। जिसकी स्थापना 1995 में हुई। वहां देशभर की उपज, फसलों आदि पर शोध कार्य होता है।
उदयपुर प्राथमिकता में क्यों?

उदयपुर स्थित एमपीयूएटी कृषि तकनीक में शोध की दृष्टि से श्रेष्ठ है। यह राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात, तीनों राज्यों के लिए केंद्र में है। यहां होने वाला तकनीकी कार्य तीनों राज्यों के लिए उपयोगी साबित होगा। वातावरणीय अनुकूलता के लिहाज से भी उदयपुर मापदण्डों में सही है।
तकनीक पर होगा काम
तकनीक पर काम करेंगे। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी को प्रस्ताव भेजा है। यह पूरे प्रदेश के लिए उपयोगी साबित होगा। इसके अध्ययन के लिए विशेषज्ञ का दल चर्चा के लिए उदयपुर आया है। कृषि अनुसंधान शिक्षा को काफी मजबूती मिलेगी।
डॉ. एनएस राठौड़, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

वर्कशॉप में होगी चर्चा
‘राजस्थान राज्य में पौधों में अजैविक और जैविक तनावों पर अध्ययन के लिए फाइटोट्रॉन सुविधा और प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापनाÓ विषय पर कार्यशाला होगी। इसमें प्रदेश के कृषि विशेषज्ञ और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा होगी।
अभय कुमार मेहता, डायरेक्टर रिसर्च, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

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