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जंक फूड-स्मोकिंग-एल्कोहल को करें बाय-बाय, अपनाएं टेंशन फ्री पॉजिटिव लाइफ स्टाइल

locationउदयपुरPublished: Dec 24, 2017 02:28:09 am

Submitted by:

rajdeep sharma

नवाचार और नव संकल्प के साथ सोरायसिस पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन

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उदयपुर . सोरायसिस पर देश में पहली इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन शनिवार को कई नव संकल्पों, नवाचारों, भविष्योन्मुखी योजनाओं और शोध आधारित विचारधाराओं के आदान-प्रदान के साथ हुआ। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने एकमत से कहा कि सोरायसिस जैसी बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए ‘टेंशन फ्री पॉजिटिव लाइफ’ को आत्मसात करना होगा। इसके अलावा जंक फूड, स्मोकिंग, एल्कोहल को बाय-बाय कहकर योग-व्यायाम को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाना होगा।
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आयोजन सचिव डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि डायलॉग्स इन क्लिनिकल डर्मेटोलॉजी (डीआईसीडी) के तत्वावधान में सार्क-एएडी की ओर से आयोजित कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन ‘ओरल और इंजेक्टेबल मैथड्स’ पर पहले इंटरेक्टिव सेशन में एक्सपट्र्स और डेलिगेट्स के बीच गहन मंथन हुआ। डाउट और डिफरेंसेस के सत्र में सार्क-एडी के प्रेसिडेंट डॉ. अनिल गंजू, सेक्रेटरी सार्क एडी डॉ. नीरज पांडे आदि के सान्निध्य में सोरायसिस उपचार विधियों पर खुलकर समालोचनात्क चर्चा हुई।
दूसरे सत्र में अल्ट्रा वायलट थैरपी के इस्तेमाल और मेटाबोलिक सिंड्रोम्स के साथ सोरायसिस के एसोसिएशन को ध्यान में रखते हुए ट्रीटमेंट पाथ तय करने पर जोर दिया गया। तीसरे सत्र में बायोलॉजिक्स पर चर्चा हुई तो चौथे सत्र में डाक्टर व मरीजों के बीच वार्तालाप की अभिनय के माध्यम से दिलचस्प प्रस्तुति डॉ. नीरज पांडे व डॉ. सचिन वर्मा ने दी। अंतिम सत्र में न्यूट्रीशियन, फिटनेस, विटामिन डी पर चर्चा करते हुए कहा गया कि केवल दवाइयों के भरोसे नहीं रहे। सोरायसिस कई बीमारियों को साथ लेकर आती है तो इससे लडऩे के लिए भी कई स्तरों पर सशक्त समन्वित प्रयासों की जरूरत है।

कॉन्फे्रंस का निष्कर्ष
– सोरायसिस की दवाइयां और उपचार की आधुनिकतम तकनीकें विकसित हुई हैं मगर अब भी बहुत सी चीजों को नए संदर्भों में समझने की जरूरत है।

– छोटे शहरों के मरीजों को भी उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा और उससे पहले सोरायसिस संबधी जागरूकता के स्तर पर प्रयास होने चाहिए।
– जागरूकता व शिक्षा का स्तर ऐसा हो कि प्रारंभिक चरण में ही त्वचा संबंधी बीमारियों का पता लगा कर तत्काल निदान किया जा सके।

– इंश्योरेंस कंपनियों का साथ मिले और सरकारी स्तर पर ईमानदार प्रयास किए जाएं तो नई असरकारी दवाइयां आमजन को मामूली दरों पर उपलब्ध हो सकती हैं।
– मोनोथैरेपी के साथ ही दूसरी दवाइयों को देने पर भी मंथन व बड़े स्तर पर प्रयोग किए जाने चाहिए।

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