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वक्त के थपेड़ों ने बदल दी जिन्दगी, फाकाकशी और इलाज को भी मोहताज

locationउदयपुरPublished: Dec 01, 2021 06:00:01 pm

Submitted by:

surendra rao

एचआईवी का दंश झेल रहा परिवार सरकारी योजना से महरूम
सरकारी सुविधाओं के लिए पंचायत के चक्कर काट रहा
एक साल नहीं मिल पा रही मजदूरी

The family suffering from the bite of HIV is deprived of the governmen
वक्त के थपेड़ों ने बदल दी जिन्दगी, फाकाकशी और इलाज को भी मोहताज
उदयपुर. एचआईवी का दंश झेल रहे एक परिवार पर वक्त के थपेड़ों ने ऐसा कहर बरपाया कि खाने की फाकाकशी के साथ किसी का साथ नहीं मिला। सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए यह परिवार बीमारी हालत में भी पंचायत के चक्कर काटकर तिल-तिल मर रहा है। माली हालत व गंभीर बीमारी का दंश झेलने के बावजूद सरकार की ओर से इस परिवार को राशन पानी मिलना तो छोड़ो इलाज की दवाइयों भी समय पर नहीं मिल पा रही।
पति-पत्नी व तीन माह की मासूम बच्ची के साथ यह परिवार सलूम्बर विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव में रह रहा है। वह अपनी बीमारी के बारे में भी गोपनीयता बरकरार रखते हुुए किसी को बता भी नहीं पा रहा।
तिल-तिल मरने को मजबूर परिवार
पीडि़त परिवार का मुखिया दो बार दुर्घटना में चोटग्रस्त हो चुका है। ठीक होने के बाजवूद बीमारी के कारण वह शारीरिक रूप से कमजोर है। एआरटी सेन्टर जाने पर भी एचआईवी पीडि़तों के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्था भी अब तक इसके द्वार नहीं पहुंची।
एक वर्ष से मजदूरी भी नहीं मिल रही
परिवार की महिला ने बताया कि रोजगार के लिए दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर है। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का जॉब तो बना हुआ है, लेकिन करीब 1 वर्ष से इन्हें आवेदन के बाद भी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी पर मजदूरी का कार्य नहीं मिल पा रहा है।
जर्जर केलूपोश मकान, सभी योजनाओं से वंचित
यह परिवार अभी केलूपोश जर्जर मकान में रहने को मजबूर है।
खाद्य सुरक्षा में आवेदन पर भी अब तक इस परिवार का नाम नहीं जुड़ पाया।
राशन के गेहूं के लिए इसे अब तक पात्र ही नहीं माना जा रहा।
अन्नपूर्णा व अंत्योदय योजना तथा मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री आवास जैसी योजना से भी वंचित है।
एआरटी सेंटर पर जाने के लिए किराए के पैसे नहीं होने से इन्हें समय पर दवाई भी नहीं मिल पा रही।
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