पुरस्कार पाने के बाद पत्रिका से बातचीत में मनीष जोशी ने बताया कि उनका परिवार करीब 40 वर्षों से पत्रिका का पाठक है। पत्रिका सच्चाई का दर्पण है। पत्रिका जनहित के मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर समस्याओं का समय-समय पर समाधान करता रहा है। अब पत्रिका एक अखबार नहीं होकर परिवार का हिस्सा हो चुका है। जोशी ने बताया कि जैसे ही अखबार में उन्होंने नम्बर देखा तो एक बारगी भरोसा नहीं हुआ, इसे बार-बार खोल-खोलकर देखते रहे। जैसे ही सबको इसके बारे में बताया तो वह भी विश्वास नहीं कर पाए कि इतना बड़ा उपहार भी खुल सकता है। इसके बाद पत्रिका से जानकारी ली तब पता चला कि ये उपहार उन्हें ही मिला है, ये जानकर सभी के खुशी का ठिकाना नहीं था। जोशी ने बताया कि पत्रिका में समाचार लेखन की एक विशेष शैली है, वह सभी को अपनी ओर खींचती है।