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जाते मानसून ने जिंदा रखी बांधों के भरने की उम्मीदें

locationउदयपुरPublished: Sep 26, 2021 12:34:09 am

Submitted by:

jagdish paraliya

बांधों व तालाबों के लबालब होने की उम्मीद ताकि सिंचाई व पीने का पानी पर्याप्त रूप से उपलब्ध हो जाए

जाते मानसून ने जिंदा रखी बांधों के भरने की उम्मीदें

जाते मानसून ने जिंदा रखी बांधों के भरने की उम्मीदें

उदयपुर. विदा होने से पहले मानसून उदयपुर जिले पर भी मेहरबान हो रहा है। जिले में अच्छी बारिश की वजह से झीलों व बांधों में पानी की आवक बनी हुई है। वहीं, आने वाले कुछ दिनों तक मानसून की बारिश का दौर जारी रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने 26 सितंबर तक भारी बारिश और 30 सितंबर तक मध्यम व हल्की बारिश होने का अनुमान लगाया है। यह भी कहा जा रहा है कि इस बार मानसून 10 अक्टबूर तक राजस्थान से विदाई लेगा। शनिवार को भी जिले में कई जगह कभी रिमझिम और कभी हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हुई। हाल ही की बांधों व तालाबों की स्थिति को देखते हुए किसान रबी फसलों में सिंचाई के लिए चिंतित नजर आ रहे हैं। उनको अंदेशा है कि अगर बांधों में पर्याप्त पानी नहीं आया तो सिंचाई के पानी में कटौती हो सकती है।
भीण्डर: झडू बांध ७ फीट, कड़ेचा एनिकट साढ़े तीन मीटर खाली
भीण्डर. उपखण्ड क्षेत्र का प्रमुख जलस्रोत झडू बांध और कड़ेचा एनिकट अभी भी अच्छी बरसात का इंतजार कर रहे हैं। भीण्डर नगर को पेयजल उपलब्ध कराने वाले झडू बांध करीब ७ फीट व कड़ेचा एनिकट साढ़े तीन मीटर खाली है। इसके अलावा भीण्डर के दवेला तालाब, गंभीर सागर, बडूपा तालाब, मदन सागर का जलस्तर भी करीब 60 प्रतिशत तक ही पहुंचा है। इसका प्रमुख कारण हैं मानसून के तीन माह गुजर जाने के बाद भी अभी तक केवल ५९४ मिमी वर्षा हुई हैं जबकि भीण्डर क्षेत्र की औसत बारिश 600 मिमी है। सभी को उम्मीद हैं कि मानसून के अंतिम चरण में अच्छी बारिश हो जाए जिससे जलाशय ओरवफ्लो हो जाए।
पिछले 10 वर्षों से लगातार छलकता आ रहा हैं झडू बांध: भीण्डर नगर का प्रमुख जल स्रोत झडू बांध पिछले 10 वर्षों से लगातार छलकता आ रहा है। अंतिम बार वर्ष 2008 से 2010 तक, तीन वर्ष तक नहीं छलका था। लेकिन वर्ष 2011 से 2020 तक लगातार छलकता आ रहा है। जिसमें पिछले 7 वर्षों में यह 5 बार अगस्त माह में ही छलक गया तो दो बार सितम्बर में छलका।
छलकने से 65 सेंटीमीटर दूर है सोम कमला आंबा बांध
झल्लारा. उदयपुर-डूंगरपुर जिले की सीमा पर स्थित झल्लारा पंचायत समिति के करांकला के समीप सोम कमला आंबा बांध छलकने से मात्र ६५ सेंटीमीटर दूर है। वर्ष २०११ से निरंतर बांध छलकता है अगर इस बार भी ऐसा होता है तो लगातार दसवें साल छलकेगा । बांध के कुल १३ गेट बनाए गए है। कनिष्ठ अभियंता निश्चय श्रीमाल ने बताया कि बांध की कुल भराव क्षमता २१३.५० मीटर है। वर्तमान में बांध में कुल २१२.६५ मीटर पानी है। वर्ष भर में सिंचाई के लिए कुल ३३०० एमसीएफटी(मिलीयन क्यूबीक फीट) पानी छोड़ा जाता है जिससे कुल १०३६२ हैक्टयर भूमि पर सिंचाई होती है। पेयजल के लिए वर्ष भर में २८३ एमसीएफटी पानी छोड़ा जाता है। बांध से सिंचाई से करीब ८५ गांव लाभान्वित होते हैं। वहीं १४५ गांवों को पीने का पानी मिलता है।
मानसी वाकल बांध : चिंताजनक है जलस्तर
झाड़ोल उपखण्ड क्षेत्र के गोराणा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित महत्वकांक्षी मानसी वाकल परियोजना इस बार बारिश कम होने के कारण बांध के जलस्तर में ज्यादा इजाफा नहीं हो पाया जो बेहद चिंताजनक है। करीब 60 करोड़ की लागत से वर्ष 2006 में मानसी नदी पर मानसीवाकल बांध का निर्माण हुआ।
भराव क्षमता 581.20 एमएम
डाउन लेवल 563.05 एमएम
वर्तमान में लेवल 576.70 एमएम
इस बार बारिश में पानी की आवक 20 सेमी
प्रतिदिन पानी की सप्लाई उदयपुर 36 एमएलडी
प्रतिदिन पानी की सप्लाई 52 गांव परियोजना 2.5 एमएलडी
भीमसागर बांध : मात्र एक फीट ही पानी की आवक हुई
सेमारी केशरियाजी रोड स्थित भीमसागर बांध की कुल भराव क्षमता 21 फिट है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में 7.8 फिट पानी है आस पास क्षेत्र में सिंचाई इसी बांध के पानी से होती है लेकिन इस बार पानी की आवक मात्र 1 फिट हुई जिससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई का पानी नही मिल पाएगा कस्बे में पानी की सप्लाई भी इसी बांध के पेटे में बने कुएं से होती है ।
बनोड़ा तालाब अभी सात फीट खाली, होगी परेशानी
बनोड़ा. 19 फीट भराव क्षमता के बनोड़ा तालाब मे ं अभी 12 फीट पानी ही है। निकटवर्ती मालपुर स्थित अम्बामाता बांध भी अभी खाली है। इन दोनों तालाबों से आसपास के करीब 25 गांवों के किसान खेती करते है तथा इनके ओवर फ्लो का पानी साल भर सरणी नदी में बहता रहता है जिससे बनोड़ा, सलूम्बर कस्बे में ट्यूबवैल में पानी सूखता नही है लेकिन अभी तक ये दोनों ओवर फ्लो नही हुए है। इस स्थिति को देखते हुए सिंचाई के लिए एक या दो बार ही पानी मिल सकता है। इससे टेल क्षेत्र के किसानों को परेशानी हो सकती है।
आधा खाली है फीला बांध, प्रभावित होगी सिंचाई
गींगला. कुराबड क्षेत्र का सबसे बड़ा तालाब फीला बांध है। जिसमें वर्तमान में केवल 11 फीट पानी भरा हुआ है जबकि पूर्ण भराव क्षमता 22 फीट है। तालाब से फीला एवं आसपास क्षेत्र में नहरों से सिंचाई होती है जो इस बार प्रभावित होगी। इसके अलावा गींगला उपतहसील के गुडेल व मुगली तालाब ओरवादिया में भी कम पानी होने से नहरों से सिंचाई प्रभावित होंगी। हालांकि पेयजल के लिए इन तालाबों पर आश्रित नहीं है लेकिन जलस्तर तालाब लबालब रहने से ऊपर रहता है।
२७ में से मात्र १९ फीट भरा, सिंचाई में होगी कटौती
जयसमंद झील की भराव क्षमता 27 फीट है। वर्तमान में करीब 19 फीट पानी भरा हुआ है। यानि आठ फीट खाली है। इसके चलते रबी की फसल के लिए सिंचाई के पानी में कटौती की जा सकती है। सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता भावेश पाटीदार ने बताया कि झील से सिंचाई के लिए निकाली गई दाईं और बाईं नहरों से किसानों को रबी की फसल के लिए एक बार पानी उपलब्ध हो सकता है। उसका भी निर्णय जल संसाधन विकास और जल संसाधन कमेटी की बैठक मेंे लिया जाएगा। वर्तमान में इस मौसम में केवल एक फीट के करीब पानी की आवक हुई है।
खेरवाड़ा: लाइफ लाइन में पानी की कमी, लोग चिन्तित
नयागांव. जल ही जीवन है। मुख्यमंत्री के द्वारा दिये गये नारा ÓÓ पानी बचाओं,बिजली बचाओं, सबकों पढ़ाओंÓÓ के नारे में बिजली का बचाव बिजली की कटौती करके की किया जा रहा है। और शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के अथक प्रयास है। मगर देखा जाये तो पानी के बचाव के कोई उपाये स्थानीय स्तर से नहीं किये जा रहे है। जिसकों लेकर खेरवाड़ावासी चिन्तित नजर आ रहे है। जानकारी के अनुसार खेरवाड़ा का पानी का लाईफ लाईन माने जाने वाला गोदावरी डेम में अच्छी बारीश नहीं होने से पानी की आवक नहीं हो पाई है। जिससे डेम भरा नहीं है। गोदावरी से खेरवाड़ा में पानी के लिये बडी पाईप लाईन की हुई है। जिससे हजारों लीटर पानी खेरवाड़ा कस्बावासीयों के पेयजल के लिये सप्लाई किया जाता है। साथ ही खेरवाडा के गोदावरी, कटेवडी, महुदरा, पलसिया, मानापाडा में सिचाई के लिये भी नहर के माध्यम से पानी की सप्लाई कि जाती है। डेम में पानी की कमी होने से किसान सहित कस्बावासी भी चिन्तित है।
लिकेज होने से डेम से होता है पानी का रिसाव: गोदावरी डेम के बीचों-बीच लिकेज होने से वर्षपर्यन्त पानी का रिसाव होता है। जिससे लाखों लीटर पानी व्यर्थ बहता है। जिससे डेम में पानी की कमी होती है। पूर्व में डेम के दोनो गेट भी क्षतिग्रस्त होने से पानी का रिसाव होता है। जिसकों विभाग के द्वारा वर्तमान में ठीक करवा दिया गया है। मगर डेम में छेद होने से वर्तमान में पानी का रिसाव होता रहता है।
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