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बगैर काम घर बिठाकर महिनों तक अधिकारियों को खिलाती रही सरकार

locationउदयपुरPublished: Jan 06, 2019 12:31:20 pm

Submitted by:

Bhuvnesh

– न्यायालय के आदेशों के बाद देरी से किए पदस्थापन

- न्यायालय के आदेशों के बाद देरी से किए पदस्थापन

– न्यायालय के आदेशों के बाद देरी से किए पदस्थापन

भुवनेश पंड्या. उदयपुर

चिकित्सा वि ााग में जि मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों की लापरवाही से राजकोष को करोड़ों रुपए का चूना लगा, वहीं आमजन की बेवजह तकलीफ झेलनी पड़ी। यहां बात उन चिकित्सकों की है, जो वि िान्न कारण से अपने पदस्थापन को लेकर न्यायालय में पहुंचे। सरकार ने उन्हें न्यायालय के आदेशों के कई माह बाद नियुक्ति दी। ऐसे में ये डॉक्टर महीनों तक घर पर रहे या निदेशालय के रजिस्टर में हस्ताक्षर कर समय बिताते रहे।
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इन मामलों में हुई लेटलतीफी
– डॉ नगेन्द्रसिंह राजावत (चिकित्साधिकारी) के लिए कोर्ट ने 27 जुलाई 2018 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, ऋष ादेव में पदस्थापन के आदेश जारी किए थे, लेकिन सरकार ने करीब चार माह बाद उन्हें 19 नव बर 2018 को ज्वाइनिंग देने के आदेश दिए।
– डॉ राजकुमार सोनी (प्रमु ा मु य चिकित्साधिकारी) को उनके पूर्व पदस्थापन बीसीएमओ सां ार जयपुर के पद पर लगाने के लिए कोर्ट ने 16 सित बर 2018 को आदेश दिए थे। सरकार ने उन्हें दो माह बाद 20 नव बर 18 को ज्वाइनिंग के आदेश दिए।
– डॉ सत्यनारायण शर्मा (प्रमु ा विशेषज्ञ मेडिसिन) को उनके पूर्व पदस्थापन स्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिकंदरा दौसा में लगाने के लिए कोर्ट ने 16 अगस्त 18 को आदेश दिए थे, जबकि सरकार ने तीन माह के बाद 16 नव बर 18 को उनके पदस्थापन के आदेश दिए।
– डॉ योगिता आसिया (चिकित्साधिकारी) को पूर्व पदस्थापन स्थान स्वास्थ्य केन्द्र, बूसी पाली में लगाने के लिए कोर्ट ने 8 अगस्त 18 को आदेश जारी किए थे, जबकि सरकार ने तीन माह के बाद 14 नव बर 18 को उनके कार्यग्रहण का आदेश दिया।
– डॉ संतोष बारवाल (कनिष्ठ विशेषज्ञ गायनिक) को उनके पूर्व पदस्थापन स्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केलवाड़ा बारा में लगाने के लिए कोर्ट ने 14 सित बर 18 को आदेश दिए थे, जबकि सरकार ने 14नव बर 18 को आदेश दिए।
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ये हैं अन्य चिकित्सक
डॉक्टर …..कोर्ट का आदेश….. सरकारी आदेश…. पदस्थापन स्थान

डॉ लक्ष्मणस्वरूप गुप्ता…. 27.8.18….14.1.18 पीएचसी परतापुर दौसा
डॉ ललित डिडवानिया…30.10.18….20.11.18 सीएचसी पीसागंन अजमेर

डॉ गुरमित सिंह 29.8.18….. 19.11.18 चिकित्साधिकारी सीएमएचओ उदयपुर
डॉ मनोज लोढ़ा 10.08.18….. 19.11.18 पीएसी नरवर अजमेर
डॉ मधु गुप्ता 16.10.18….19.11.18 पीएचसी कोयला बारा
डॉ गौरीशंकर कुशवाह 8.8.18….19.11.18 जिला चिकित्सालय बूंदी

डॉ अशोक आदित्य 24.10.18…. 3.12.18 आरसीएचओ उदयपुर
डॉ कमलेशकुमार कस्वा 12.11.18….. 30.11.18 एसडीएच लाडनू नागौर

(इसी तरह करीब 20 चिकित्सकों को ाी ऐसे ही सरकार ने देरी से आदेश दिए)
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इन कारणों से कोर्ट पहुंचे चिकित्सक
– रिक्त पद नहीं होने के बावजूद लगाना
– पदस्थापन स्थान गलत देना
– दूर दराज स्थान पर लगाना
– मूल स्थान यानी अपनी पसंद के स्थान से हटाने पर

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ऐसे होती है गफलत
स्थगनादेश लेकर जो चिकित्सक निदेशक जन स्वास्थ्य वि ााग में पहुंचते हैं, वे तो वहां पर रजिस्टर में हस्ताक्षर कर लेते हैं। बाद में जब वे पदस्थापन स्थान पर कार्य करते हैं तो उसकी कॉपी ऑन ड्यूटी के तौर पर जमा करते हैं, लेकिन जो चिकित्सक जयपुर में हस्ताक्षर नहीं करते हैं, उनके अवकाश उन्हें ाुद की छुट्टियों से कटवाने पड़ते हैं। ज्यादातर चिकित्सक जयपुर में एक बार हस्ताक्षर के कई दिनों के बाद निदेशालय पहुंचते हैं और एक साथ कई दिनों के हस्ताक्षर कर लेते हैं। ऐसे में उन्हें आराम का आराम मिल जाता है और उनके अवकाश ाी नहीं कटते हैं।
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कोर्ट के आदेश से लेकर सरकार के आदेश तक संबंधित चिकित्सक अवकाश पर रहते हैं। हालांकि फिलहाल उदयपुर जिले में ऐसा कोई चिकित्सक नहीं हैं।
डॉ दिनेश ाराड़ी, सीएमएचओ उदयपुर

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कोर्ट स्टे आर्डर देती है, कई बार निर्णय बदल ाी सकता है, इसलिए इनके आदेश देरी से जारी होते हैं। हालांकि उनके अवकाश उनके ााते से काटे जाते हैं। यदि वे जयपुर ड्यूटी दे रहे हैं तो उनके अवकाश नहीं कटते।
डॉ एएन माथुर, संयुक्त निदेशक चिकित्सा उदयपुर
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