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इनके स्वास्थ्य का रखवाला कौन ? नहीं है पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं, लोग धक्के खाने को मजबूर

locationउदयपुरPublished: May 05, 2019 05:58:13 pm

उदयपुर जिले के आठ स्वास्थ्य केन्द्रों पर पत्रिका पड़ताल में सामने आई जमीनी हकीकत

The ground realities in eight health centers investigated by patrika

इनके स्वास्थ्य का रखवाला कौन ? नहीं है पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं, लोग धक्के खाने को मजबूर

भुवनेश पण्ड्या/उदयपुर. सरकार की ओर से चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर करोड़ों रुपए आवंटित करने के बावजूद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी हकीकत उलट है। चिकित्सकों सहित स्टाफ के कई पद रिक्त है। वहीं सुविधाओं का अभाव है। जिससे दूर दराज से आने वाले रोगियों को खासी दिक्कत हो रही है। इनकी समस्या को न तो जनप्रतिनिधियों और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से गंभीरता से नहीें लिए जाने से उनकों सरकार स्तर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

मेनार : एक्स-रे मशीन की कमी, विशेषज्ञों के पद रिक्त

मेनार. मगनमल जेठाचंद पंचोलिया सामुदायिक चिकित्सालय मेनार क्रमोन्नति के छह वर्ष बाद भी जस का तस है। चिकित्सकों की कमी तो है ही वही रोग विशेषज्ञ का अभाव बना हुआ है। अस्पताल में सुविधाओं की कमी से मरीज परेशान है। वर्तमान में 3 डॉक्टर व 3 नर्सिंग स्टाफ है। 04 स्टाफ की है कमी है। जिससे किसी मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद भी रिक्त है। साथ ही कनिष्ठ विशेषज्ञ गाइनिक, जनरल मेडिसन, जनरल सर्जरी , शिशु रोग विशेषज्ञों के सभी पद रिक्त है। एक्स-रे मशीन, अस्पताल में बेड, ऑपरेशन थियेटर, ईसीजी, सीबीसी मशीन आदि का भी अभाव है। महीने की ओपीडी औसतन करीब 3 हजार है। वही यहां महीने भर में औसतन 15 से 20 डिलेवरी होती है।

पहाड़ा : विभाग ने मनमर्जी से कर दी प्रतिनियुक्ति

भाणदा. पहाड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से मेल नर्स ग्रेड द्वितीय की भुवाणा उदयपुर में प्रतिनियुक्ति कर दी गई है। जिससे रोगी परेशान है। हालांकि चिकित्सक उपस्थित रहते हैं मगर नर्स ग्रेड द्वितीय का पद खाली है।

कोटड़ा : एक चिकित्सक के भरोसे अस्पताल
कोटड़ा. आदिवासी बहुल कोटड़ा अस्पताल में खाट पर मरीज बिना बेड शीट इलाज कराने को मजबूर है। रोजाना 180 से 200 के लगभग ओपीडी है। एक डॉक्टर के भरोसे हॉस्पिटल चल रहा है। रेडियो ग्राफर का पद पिछले दो साल से रिक्त होने से एक्स-रे मशीन दो साल से बंद है। एक्सीडेंट केस की स्थिति में मरीजों को रैफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कोटड़ा सीएचसी पर प्रतिदिन औसतन तीन से पांच गर्भवती महिलाएं आती है । गायनोलोजिस्ट का पद भी कई सालों से रिक्त है। यहां महिलाओं की डिलेवरी नर्स या मेल नर्स ही करवाते हैं।
मावली : सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी नर्सिंग स्टाफ कम

मावली (निप्र). सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में इन दिनों गर्मी के चलते रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। नर्सिंग स्टॉफ की कमी से मरीजों को परेशानी हो रहीं है। सुबह अस्पताल खुलने से पहले ही चिकित्सालय में मरीजों का तांता लगा रहता है। इधर, नर्सिंग स्टॉफ के 6 पद स्वीकृत है। इनमें से वर्तमान में ग्रेड प्रथम का 1 एवं ग्रेड द्वितीय का 1 पद रिक्त है। शाम को 5 से 7 बजे भी मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। जहां पर्ची कटवाने के लिए लम्बी कतारें लगी रहती है। साथ ही चिकित्सालय के वार्ड में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वर्तमान में 300 से 350 मरीज चिकित्सालय पहुंच रहे हैं। चिकित्सालय के पीछे गंदगी का आलम है। जिससे बीमारियां फैलने की आशंका है।

वल्लभनगर : एक-एक चिकित्सक व एक कंपाउंडर के भरोसे

भटेवर. वल्लभनगर में तहसील रोड स्थित अस्पताल में समस्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद मुख्य चिकित्साधिकारी, नर्स सहित कई पद है। यह अस्पताल एक चिकित्सक व एक कम्पाउण्डर के भरोसे है। अस्पताल में विभिन्न रोगो के जांच केन्द्र, एक्स-रे, नि:शुल्क दवा वितरण योजना एवं 50 बेड स्वीकृत है। आसपास के 50 गांवों से प्रतिदिन मरीज यहां उपचार करवाने आते हैं लेकिन कतार को देखकर उदयपुर में निजी अस्पतालों की ओर रुख कर लेते हैं। अस्पताल में गत वर्ष औसतन 300 मरीज नित्य आते थे लेकिन स्टाफ की कमी से ओपीडी मेें मरीजों की संख्या घटकर 225 हो गई है, वही आईपीडी मरीजों की संख्या औसतन 460 है।
फलासिया : विशेषज्ञ चिकित्सकों की आज तक नियुक्ति नहीं

फलासिया. फलासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर सरकार की ओर से मेडिसिन, सर्जन, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी , चिकित्सा अधिकारी जैसे विशेषज्ञ चिकित्कों के पद तो स्वीकृत किए लेकिन किसी भी विषेषज्ञ चिकित्सक की आज तक नियुक्ति नहीं हुई है। स्वीकृत 5 में से 2 चिकित्सक ही कार्यरत है । वही मादडी, पानरवा, सोम,कोल्यारी, पीपलबारा में 2 – 2 चिकित्सको के पद स्वीकृत है। पानरवा में संविदा चिकित्सक को छोड़ दें तो शेष जगह एक चिकित्सक ही कार्यरत है । अगर ये एक चिकित्सक सरकारी कार्य या निजी कारणों से बाहर चले जाए तो मरीजों को भटकना पड़ता है। नि:शुल्क दवा वितरण केन्दो में एक भी केन्द्र पर फार्मासिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई है। पहले से स्टॉफ की कमी के चलते अन्य स्टॉफ को दवा वितरण केन्द्र पर लगाया गया है।

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