– बुधवार को उदयपुर की शबाना बानों का प्रसव हुआ था, शुक्रवार को घर लौटते समय किसी महिला कर्मचारी ने उनकी मां और उनसे पैसे मांगे तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि यहां हर बात पर पैसा मांगते हैं, किस-किस को कितने पैसे दें। शबाना ने पत्रिका से कहा कि हमने भी पहले दो सौ-दौ सो रुपए दिए थे, लेकिन यहां तो हर बात पर पैसे मांगते हैं। मां ने बताया कि यहां लेबर रूम से बाहर आने पर भी पैसा मांगा जाता है, कहा जाता है कि जब तक पैसे नहीं देंगे तब तक ट्रॉली में लेकर नहीं जाएंगे। यहीं यहां कचरा पड़ा है, हटाने के लिए कहा तो कहते हैं कि पैसे देंगे तो हटाएंगे नहीं तो नहीं।
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– कोटड़ा क्षेत्र की बिमा देवी के कोख में नवजात की मौत हो गई थी, उसे लेबर रूम से वार्ड में भर्ती किया जा रहा था, तब उसके परिजनों से सहायक कार्मिकों ने चाय-पानी के नाम पर पैसे मांगे, प्रसूता के पति ने उन्हें बताया कि उनके साथ ऐसी घटना हुई है, हम दखुी है, इसके बावजूद बार-बार ये पैसे मांगने से नहीं चूक रहे थे।
– कोटड़ा क्षेत्र की बिमा देवी के कोख में नवजात की मौत हो गई थी, उसे लेबर रूम से वार्ड में भर्ती किया जा रहा था, तब उसके परिजनों से सहायक कार्मिकों ने चाय-पानी के नाम पर पैसे मांगे, प्रसूता के पति ने उन्हें बताया कि उनके साथ ऐसी घटना हुई है, हम दखुी है, इसके बावजूद बार-बार ये पैसे मांगने से नहीं चूक रहे थे।
– ोमली के पास र यावल गांव से आई लक्ष्मीबाई का गुरुवार को प्रसव हुआ है, उन्हें लेबर रूम से वार्ड में शि ट करने के लिए ए बुलेंस से लाया गया, लेकिन उन्हें यहां के कार्मिक केवल इसलिए लेकर ऊपरी कक्ष वार्ड तक नहीं गए, क्योंकि उन्होंने पैसा नहीं दिया था, उसे जानबूझकर ए बुलेंस में बैठे रहने दिया, जबकि उसके परिजनों को ये कहकर प्रथम तल पर भेज दिया था कि इसे हम लिफ्ट से लेकर आएंगे, जबकि उसे कोई ले नहीं गया। कुछ देर बाद बाहर मौजूद बनवारी वैष्णव (किसी अन्य प्रसूता के साथ थे) बच्चे को हाथ मे लिया और लि ट से वार्ड तक पहुंचे। पहुंचने के बाद उसकी परिजन से वहां की एक कार्मिक पैसा मांगती रही।
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हर बार मीटिंग में सभी को समझाया जा रहा है, लेकिन कुछ कार्मिकों ने ये चाय-पानी के नाम पर प्रथा बना रखी है, लोगों को बताया जा रहा है कि जो भी पैसा मांगे उसे पैसा नहीं देकर हम तक शिकायत पहुंचाएं ताकि उस कार्मिक को तत्काल वहां से हटाया जा सके, उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। हम प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ये ऐसा नासूर है जिसे हटाने में पसीना आ रहा है। – डॉ मधुबाला चौहान, अधीक्षक जनाना हॉस्पिटल