जिक्र हो रहा है उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील में खरसाण के रहने वाले अमरीश मेनारिया का। पैंतीस साल के अमरीश ने एक साल पहले गुलाब की खेती की ओर कदम बढ़ाया। हालांकि खेतों से जुड़ाव बचपन से था। अमरीश ने बताया, दिमाग तकनीकी कामों और लीक से हटकर कामों में ज्यादा दिलचस्पी लेता था, इसलिए 10वीं के बाद साल 2001 में दिल्ली चला गया। महंगी कारों की मरम्मत में हर महीने 60 हजार रुपए तक कमाए, लेकिन संतोष नहीं मिला।
READ MORE: Video: जंगल में बकरी चराने गए युवक पर फायर, हुआ गंभीर घायल, बदमाशों का नहीं लगा सुराग अपनी माटी और अपनों से दूरी खटकती रही। यही कारण रहा कि वर्ष 2008 में दिल्ली छोड़कर खरसाण वापसी कर ली। पुश्तैनी जमीन थी ही, जिस पर आठ साल तक पारंपरिक खेती की। एक बीघा का टुकड़ा ऐसा भी था, जो अरसे से बंजर पड़ा था। इसी पर गुलाब की खेती का विचार आया। बकौल अमरीश, आज अकेले गुलाब उसे हर महीने 30 हजार रुपए दिला रहे हैं। खेत के दूसरे टुकड़ों पर अनाज-सब्जियों से अन्य उपज की कमाई अलग है। इन सबसे ऊपर अपनों के बीच रहने का सुकून अब गांव छोडऩे का विचार तक नहीं आने देता।
अमरीश ने बताया, खरसाण में उसकी करीब एक बीघा जमीन बंजर पड़ी थी। इस पर किसी समय दादा-परदादा खेती करते थे। पिता चंपालाल मेनारिया ने बताया था कि रबी हो या खरीफ, अच्छी उपज मिल जाती थी। पिछले साल वह पड़ोस के गांव चिकारड़ा गया था, जहां गुलाब की खेती देखी। चटक रंगों के फूल देख मन खुश हो गया। उन किसानों से सीखा, जानकारों से राय ली और अपने खेत के टुकड़े पर प्रयास शुरू किए। अच्छे से जोतकर करीब चार हजार कलमें रोपीं। समय और मेहनत की बचत के लिए ड्रिप सिस्टम भी लगाया। मौसम के साथ किस्मत ने भी साथ दिया और एक ही साल में पौधे 4 से 5 फीट तक बढ़ गए। अब रोज इनसे 15 किलोग्राम तक गुलाब के फूल मिल रहे हैं।
READ MORE: Video: पहलू खान की हत्या मामला : बहरोड़ घटना के विरोध में उदयपुर में मौन जुलूस व प्रदर्शन रोज की औसत कमाई एक हजार रुपए तक हो रही है। उदयपुर शहर से सटे एक देवी मंदिर के बाहर ये फूल हाथोंहाथ बिक जाते हैं। पौधों को सहेजने का मासिक खर्च दो हजार रुपए है, जिससे रासायनिक स्पे्र करते हैं। पौधों के रखरखाव, फूल उतरने, बाजार तक पहुंचाने और बेचने तक सभी काम परिवार ही सदस्य करते हैं। बेटा और भतीजा हर कदम पर साथ रहते हैं।
बोनस में घर की उपजी ताजी सब्जियां गुलाब वाले खेत में ही इन पौधों के आसपास शाक बीजों की भी बुवाई की। ये पौधे भी अब फल उठे हैं। भिंडी, बैंगन सहित मौसमी सब्जियां घर बैठे मिल रही हैं। स्वाद के लिहाज से ये सब्जियां खास हैं, क्योंकि रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया है।