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नॉमिनी नहीं होता मालिक

locationउदयपुरPublished: Jan 06, 2019 07:49:03 am

Submitted by:

Bhuvnesh

– चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स का दो दिवसीय राष्ट्रीय स मेलन ज्ञानोदय शुरू

चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स का दो दिवसीय राष्ट्रीय स मेलन ज्ञानोदय शुरू

चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स का दो दिवसीय राष्ट्रीय स मेलन ज्ञानोदय शुरू

भुवनेश पंड्या

उदयपुर। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के निदेशक सीए डॉ गिरीश आहूजा ने कहा कि स पत्ति बैंक की एफ डीए आदि नॉमिनेशन कर देने से मालिकाना हक नहीं मिल जाता। नॉमिनी तो केवल ट्रस्टी होता है। उसे वास्तविक मालिक को स पत्ति की सुपुर्दगी करनी ही होती है। द इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट ऑफ इंडिया की कमेटी ऑन अकाउन्टिंग, स्टेण्डर्ड फॉर लोकल बॉडिज, बैंकिग, इंश्योरेंस व फाइनेन्शियल सर्विसेज व उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में सौ फीट रोड़ स्थित ओपेरा गार्डन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स मेलन में आहूजा बोल रहे थे। आहूजा ने यह भी कहा कि व्यक्ति द्वारा वसीयत नहीं लिखी जाने की स्थिति में वह हिन्दू सक्शेशन एक्ट के तहत उत्तराधिकारियों में विभक्त हो जायेगी। व्यक्ति के मरने पर अपनी माता, पत्नी व बच्चों में स पत्ति बराबर बंटेगी। इससे पूर्व इन्स्टीट्यूट के पूर्व अध्यक्ष अमरजीतसिंह चौपड़ा ने क पनी एक्ट के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऑडिटर की आज की परिस्थितियों में अपने दायित्व से अवगत कराया एवं विभिन्न प्रकार की की जाने वाली जालसाजियों से सचेत किया। उद्घाटन सत्र में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे पी शर्मा ने मु य अतिथि के रूप में कहा कि देश की प्रगति में चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स का अहम योगदान रहा है।

प्रथम सत्र में श्रीमती प्रीति दंग ने भारतीय चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट की आस्ट्रेलिया सीपीए के साथ एग्रीमेन्ट व वहंा प्रोफेशनल अपोच्र्युनिटी विषय पर प्रकाश डाला। सीए सुमित ढढ्ढा ने दिवालियापन मूल्याकंन, इन्सोलवेन्सी वेल्यूएशन विषय पर आ रही जटिलताओं पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में बोलते हुए जयपुर से आये सेन्ट्रल काउन्सिल सदस्य सीए प्रकाश शर्मा ने कहा कि आईसीएआई द्वारा समय-समय पर देशहित में दिये जाने वाले सुझावों को सरकार द्वारा स्वीकार किया जाना प्रत्येक सीए के लिये गर्व की बात है। अब चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट की प्रतिस्पर्धा स्थानीय या राष्ट्रीय स्तर पर नहीं वरन् ग्लोबल लेवल पर हो गयी है।
बैंक ऑडिट के लिये मिलेगा सभी को समान अवसर

सीए शर्मा ने कहा कि आईसीएआई द्वारा बनाये गये सॉ टवेयर के जरिये बैंक की ब्रान्च ऑडिट करने वाले चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स को एक सौ प्रतिशत अलॉटमेन्ट का समान अवसर मिलेगा।
– सीए स्टूडेन्ट अब करा सकेगे रि.चैकिंग

जहंा पूर्व में सीए स्टूडेन्ट परीक्षा की कॉपियंा के पुर्ननिरीक्षण के लिये सिर्फ रि.टोटलिंग ही की जाती थी लेकिन अब वे कॉपियों की रि.चैकिंग करा सकेंगें ऐसी व्यवस्था की जा रही है।
– से पल ऑडिट का कन्सेप्ट समाप्त. शर्मा ने बताया कि अब से पल ऑडिट का कन्सेप्ट समाप्त कर दिया है। एक सौ प्रतिशत ऑडिट होगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

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विशिष्ठ अतिथि एक्मे फाइनेंस के एमडी सीए निर्मल जैन ने कहा कि यदि किसी संस्था का प्रमोटर सीए है तो निश्चिन्त रहे कि उस संस्था में गड़बड़ नहीं होगी। कॉन्फ्रेन्स डायरेक्टर सीए डॉ निर्मल कुणावत ने कहा कि आर्थिक स्तर पर मजबूत होते भारत के लिये यह कॉन्फं्रेन्स महत्वपूर्ण है। प्रार भ में आईसीएआई की उदयपुर ब्रान्च के चेयरमेन सीए पंकज जैन ने अतिथियों का स्वागत किया, आभार ब्रान्च सचिव सीए विशाल मेनारिया ने आभार ज्ञापित किया। मीडिया प्रभारी सीए दीपक एरन ने बताया कि शाम को प्रतिभागियों के लिये रंगारंग संास्कृतिक कार्यक्रम
जब तक चुनावों में बेहिसाब ार्च होगा ा्रष्टाचार नहीं मिट सकता: आहूजा

निदेशक एसबीआइ गिरीश आहूजा (आयकर एक्ट के री डॉ ट कमेटी के देश ार में इकलौते सीए सदस्य) ने बताया कि जब तक देश में चुनावों में बेहिसाब ार्च बंद नहीं होगा तब तक ा्रष्टाचार नहीं मिट सकता। उन्होने आयकर एक्ट में चर्चा करते हुए कहा कि ये 1961 का है, छह से सात हजार बदलाव हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने इस बार सोचा कि इसे फिर से ड्रॉ ट किया जाए, सरकार चाहती है कि ऐसा कानून हो कि हर व्यक्ति इसे आसानी से समझ सके, इसमे ऐसे बिन्दु नहीं हो जो समझ से परे हों। ऐसा ाी नहीं हो कि कोई बात छूट जाए। इसमें ये दे ाा जाएगा कि कानून के किसी बिन्दु का अलग तरीके से गलत फायदा तो नहीं उठाया जा रहा है,उसे हर स्थिति में रोका जाएगा। पत्रिका से बातचीत में आहूजा ने कहा कि देश के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है कि सरकार ने किसी बाहरी व्यक्ति को अपनी कमेटी में लिया है। जीएसटी पर कहा कि जब ाी कोई नया कानून आता है तो उसमें कुछ प्रायोगिक गलतियां रहती है, जैसे ऑनलाइन के लिए जो सॉ टवेयर तैयार किया गया, उसमें सरकार की उ मीद से अधिक लोग पंजीकृत हो गए, ऐसे में जीएसटी में समस्याएं सामने आई। आहूजा ने बताया कि जीएसटी के कारण कोई ाी जानकारी छुपाई नहीं जा सकती। सारी जानकारी ऑनलाइन होने के कारण पारदर्शिता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि ई-कॉमर्स पर बातचीत करते हुए कहा कि पहले नई कंपनियां ाुद नुकसान ाुगतकर अपना नाम बड़ा कर देती हैं, बात में उनकी बाजार वैल्यू बढ़ जाती है। कोई स्टार्टअप नई शुरुआत करता है, वह पहले नुकसान ाुगतकर कंपनी का नाम बड़ा करने की ओर दौड़ता है, किसी ना किसी तरीके से वे अपने उप ाोक्ता जोड़ते हैं। बाद में उनका नाम स्वत: ही बड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा कि कम पढ़े लि ो व्यापार में बड़ा रिस्क उठाते हैं, लेकिन पढ़े लि ो लोग व्यापार के नियमों में उलझकर रह जाते हैं। हालांकि ये बात दीगर है कि पढ़े लि ो लोग अकाउन्ट्स के ज्ञान से कम पढ़े लि ो का सहयोग कर सकते हैं, स्वयं व्यापार में नुकसान उठाने या रिस्क लेने के लिए आसानी से तैयार नहीं होते।
– जब तक आम व्यक्ति की ाू ा कम नहीं होगी घोटाले होते रहेंगे…चौपड़ा

आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष अमरजीत चौपड़ा का कहना है कि जब तक आम व्यक्ति की ाू ा कम नहीं होगी तब तक अकाउन्ट्स की उथल पुथल चलती रहेगी, यानी कई कंपनियों में घोटाले होते रहेंगे। घोटाले तो कई वर्षो से चलते रहे हैं, लेकिन वर्ष 2008 में केवल ाारत एक मात्र ऐसा देश था, जिस देश के बैंक फेल नहीं हुए जबकि उस दौर में अमरीका, यूके, जर्मनी सहित दुनिया के बड़े-बड़े देशों में बैंक फेल हो गए। इसका ाास कारण था, कि हमारा वित्त प्रमु ा बेहतर था। उसकी बेहतर नीतियों का असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलना था। चोपड़ा ने बताया कि राजस्थान में मारवाड़ क्षेत्र का सीए पूरी दुनिया का श्रेष्ठ सीए माना जाता रहा है, उन्होंने बताया कि पहले पंजाबी, बंगाली ाी इस प्रोफेशन में ाूब थे, लेकिन वर्तमान में मारवाड़ी व्यक्ति के ाून में ऐसी क्वालिटी है, कि सीए की सं या अधिक रहती है। चोपड़ा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि नेशनल फाइनेंशियल रिपोॢटंग अथोरिटी (नेफ्रा) के आने के बाद सीए की जि मेदारी तय हुई है, हालांकि जि मेदारी तो पहले ाी किसी ाी कंपनी में सीए की उतनी ही थी, लेकिन अब इसे तय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जब-जब ाी किसी ाी गड़बड़ में या बड़े स्केम में किसी सीए का नाम सामने आया है और इसकी पुष्टि हुई है, तो उसे इसकी सजा इंस्टीट्यूट से दी गई है। कई बार उसे सदस्यता से जीवन ार हाथ धोना पड़ा है, जबकि बार काउंसिल, मेडिकल काउंसिल सहित कई संस्थाएं क ाी ाी ऐसे कड़े निर्णय नहीं लेती, लेकिन हम लेते रहे हैं। जि मेदारी बढ़ाने के लिए इंस्टीट्यूट के ऊपर यदि कोई नई बॉडी आ रही है तो कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पूरी प्रक्रिया को रिमोट से नहीं चलाया जा सकता, यदि इस बॉडी में प्रोफेशनल नहीं होंगे तो परेशानी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि ब्लेक मनी को वाइट मनी करने में सीए का नाम लोग लेते हैं, लेकिन स ाी ऐसे नहीं है, हालांकि उन्होंने इसे स्वीकारा कि इसमें गलती हमारी ाी है, कई बार लालच में ये हालत होती है।
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