scriptvideo: तीसरी आँख’ पर तकरार : चोर का चेहरा भी पुलिस देख रही आवेदन के ‘आइने’ से | The third eye: The face of the thief is also seen by the 'mirror' of | Patrika News

video: तीसरी आँख’ पर तकरार : चोर का चेहरा भी पुलिस देख रही आवेदन के ‘आइने’ से

locationउदयपुरPublished: Apr 13, 2019 08:04:24 am

Submitted by:

Bhuvnesh

– हॉस्पिटल: पुलिस व आईटी व्यवस्था में नहीं तालमेल- सर्वर रूम में प्रवेश से पहले चौकी व हाथीपोल थाना पुलिस को भी भरना होता है आवेदन
– पत्रिका पहुंचा सर्वर रूम तक

 हॉस्पिटल: पुलिस व आईटी व्यवस्था में नहीं तालमेल

हॉस्पिटल: पुलिस व आईटी व्यवस्था में नहीं तालमेल

भुवनेश पण्ड्या
उदयपुर. महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में यदि किसी की कोई चीज, वाहन या कोई सामान चोरी हो जाता है तो उसे भले ही सीसीटीवी कैमरे यानी तीसरी आँख देख रही हो, लेकिन आसानी से ना तो वो व्यक्ति इसे देख पाएगा और ना ही पुलिस। इसलिए क्योंकि इसे देखने के लिए उसे एक विशेष प्रक्रिया से गुजरना होता है, जांच कर्ता पुलिस भी इस प्रक्रिया से बची हुई नहीं है। सबसे पहले तो हॉस्पिटल का वो सर्वर रूम खुलवाना होगा जिसमें लगे एलइडी उस चोर या बदमाश की करतूत दि ााएंगे। ये बात दीगर है कि इस रूम को खुलवाना टेड़ी खीर है, अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बगैर आवेदन इसे पुलिस ख़ुद भी नहीं खुलवा सकती।
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इतने में तो ााग जाता है चोर …

ये दलील पुलिस की है। हॉस्पिटल चौकी पर कार्यरत कुछ पुलिसकर्मियों ने पत्रिका को बताया जब तक कोई मामला आता है, उसे पकडऩे के लिए जैसे ही सर्वर रूम तक जाते है तो ल बी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। आवेदन करना होता है, एफआईआर की कॉपी दि ाानी होती है, जब तक ये सारी प्रक्रिया अपनाते हैं तब तक तो चोर शहर की सीमा से बाहर चला जाता है। काफी टाइम के बाद में वो वीडियो दे ाने मिलता है। पुलिस कहती है कि इस वीडियो में छुपाने लायक है भी क्या ?
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बिना आवेदन तो सं ाव ही नहीं
ये कहना है सर्वर रूम के नोडल प्र ाारी डॉ मुकेश बडजात्या का। उन्होंने बताया कि ये आईटी नियमों में आता है। जब-जब सर्वर रूम ाुलता है तब तब इसकी ऑनलाइन जानकारी जयपुर तक जाती है। यदि कोई घटना होती है तो उसके बारे में बगैर लि िात जानकारी के हर किसी को कैसे अन्दर प्रवेश दिया जा सकता है। इसको कोई ाी व्यक्ति गलत इस्तेमाल भी कर सकता है।
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ये जरूरी है
जब-जब सर्वर रूम ाुलता है, तब-तब किसी भी पुराने वीडियो को दे ाने के लिए आइटी कोड का इस्तेमाल किया जाता है। जिसका वस्तु या वाहन ाोया है उसे तय जगह और समय बताना होता है ताकि उसे ट्रेस किया जा सके। हॉस्पिटल में फिलहाल 200 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। स ाी कैमरे उस सर्वर रूम से जुड़े हुए हैं। जब ाी कोई शिकायत है तो आवेदन व पुलिस शिकायत की कॉपी के साथ जाना जरूरी होता है। यदि मरीज का परिजन है तो उसके साथ संबंधित नर्सिंग सुपरवाइजर जाता है और वह सर्वर रूम पुलिस की मौजूदगी में ाुलवाकर दे ा सकता है।
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पुलिस को तो देना चाहिए अधिकार, जल्द बात करेंगे
पुलिस जांच करती है, इसलिए उसे तो ये अधिकार देना चाहिए कि वह जितना जल्दी हो सके वीडियो को दे ा सके। इसके लिए चिकित्सालय प्रशासन से बात करेंगे।
आदर्शकुमार, थानाधिकारी हाथीपोल
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नियम तो सभी के लिए समान हैं…
ये नियम सभी के लिए हैं, कोई भी इसे तोड़ नहीं सकता। जरूरी है कि इस प्रक्रिया को तेजी से किया जाए, आवेदन में कोई बहुत ज्यादा समय नहीं लगता। आम जनता और पुलिस ये समझेगी तो व्यवस्था बनाने में आसान होगा।
डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल
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