उदयपुर

दुनिया ने तो पहले ही अपना लिया था, लेकिन अपने हो गए थे मुझसे दूर: नाज जोशी

– ट्रांसजेंटडर मॉडल मिस वल्र्ड डायवर्सिटी नाज जोशी से पत्रिका की विशेष बातचीत
– आईआईएम उदयपुर में विद्यार्थियों से रूबरू होने पहुंची

उदयपुरSep 10, 2019 / 10:25 pm

Bhuvnesh

दुनिया ने तो पहले ही अपना लिया था, लेकिन अपने हो गए थे मुझसे दूर: नाज जोशी

भुवनेश पण्ड्या
उदयपुर. ट्रांसजेंटडर मॉडल मिस वल्र्ड डायवर्सिटी नाज़ जोशी का कहना है कि दुनिया तो उन्हें बहुत पहले अपना लिया था, लेकिन उनके अपने यानी उनके माता-पिता ने उन्हें सात वर्ष की उम्र में छोड़ा तो उनके खिताब विजेता बनने के बाद 32 वर्ष की उम्र में अपनाया। ये उनके लिए सबसे मुश्किल दौर था जब वह परिवार से दूर थी। रविवार को आईआईएम उदयपुर में विशेष सत्र के लिए आई नाज ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया उन्होंने घरों और रेस्टोरेंट में बर्तन साफ करने से अपनी शुरुआत की थी। तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में पीजी डिप्लोमा कर रखा है। उनका कहना है कि ट्रांसजेंडर के रूप में उन्हें पग-पग पर भले ही समस्याओं का सामना करना पड़ा, कई बार उनके साथ जबरदस्ती भी हुई, लेकिन उन्होंने जीवन से हार नहीं मानी।
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यू बदलती गई जिंदगीनाज की नानी ने उन्हें कहा कि शिक्षा ऐसा धन है जो आपसे कोई छीन नहीं सकता, इसलिए वह पढ़ती रही। 2016 में ट्रासजेंडर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद फोटोग्रोफर ऋषि तनेजा ने बतौर मॉडल उन्हें स्थापित करने के लिए पहला पाठ पढ़ाया, तब वे ट्रांसजेंडर पर बायोपिक बना रहे थे, उनके साथ से शुरू हुए सफर ने उन्हें देश की एकमात्र ट्रांसजेंडर मॉडल व तीन बार मिस वल्र्ड डायवर्सिटी होने का खिताब दिलाया। इस काम के दौरान उन्होंने बेहद बोल्ड फोटो भी शूट करवाए, ऐसे में सच्चे मन से किए गए काम के कारण वे यहां तक पहुंची।
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मां तय करती है ड्रेस नाज ने बताया कि अब उनकी मां उनके लिए डे्रस तय करती है, उनका भाई अब उनसे राखी बंधवाने की कहता है। उनके पिता हिन्दू और मां मुस्लिम है।
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उदयपुर से प्यार: पहले भी कई बार शूटिंग के लिए नाज उदयपुर आ चुकी हैं। उन्हें राजस्थान अच्छा लगता है, यहां की संस्कृति और व खाना बेहद लुभाता है। गट्टे की सब्जी और पापड़ की सब्जी का स्वाद वह कभी नहीं भूली। आईआईएम में पढऩे वाले विद्यार्थियों को लेकर उनकी धारणा थी कि उनका एक अलग रवैया होगा, लेकिन जब वह यहां उनसे मिली तो ऐसा लगा जैसे वे अपने ही परिवार में हो।
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किन्नरों में दो वर्ग एक वर्ग जो घराना सिस्टम में रहते हैं, उनकी गुरु होती है, गुरु की गुरू होती है। किन्नर धर्म कहता है कि उन्हें भीक्षा मांग कर जीवन यापन करना है, ये घराना सिस्टम में चलता है, जो मुख्य धारा में नहीं आना चाहते। दूसरा वर्ग नई मानसिकता रखता है, जो पढ़े लिखे हैं, वे चाहते हैं कि किन्नर अब मुख्य धारा में आए और आम लोगों की तरह काम करें। उन्होंने बताया कि विदेशों में तो आम व्यक्ति और ट्रांसजेंडर में कोई फर्क नहीं किया जाता। नाज ने पत्रिका को बताया कि नेटफ्लिक्स की ओर से उन्हें सीरियल का ऑफर है, लेकिन जब तक वह दिल्ली से मुम्बई शिफ्ट नहीं होती ये शुरुआत नहीं पाएगी।
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