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बताया गया कि चोरों ने मंदिर में घुसने के लिए मुख्य द्वार का ताला तोड़ा। इंटरलॉक नहीं टूटने पर पिछवाड़े की खिडक़ी की जाली तोडक़र घुसे। निज मंदिर में भी ताला व इंटरलॉक तोडऩे का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं होने पर एक दरवाजा ही तोड़ डाला। चोर मुख्य मंदिर से पाषाण प्रतिमाओं के पास ही रखी भगवान शांतिनाथ, 24 तीर्थंकर भगवान, महावीर स्वामी, पाश्र्वनाथ, आदिनाथ, शांतिनाथ भगवान की अष्टधातु की पांच प्रतिमाएं, बाहरी परिसर से पद्मावती की मार्बल की दो प्रतिमाओं के अलावा चांदी के छह छत्र, बर्तन, पूजन सामग्री आदि ले गए। परिसर में मार्बल के दो गल्ले तोडक़र करीब ढाई हजार रुपए भी ले भागे। सुबह पुजारी बालू सेवक पहुंचा तो प्रतिमाएं गायब थीं। उसने समाज के अध्यक्ष रूपलाल चित्तौड़ा को सूचना दी। कुछ ही देर बाद रमेश चित्तौड़ा, अनिल चित्तौड़ा, नारायण देवी, सरपंच संगीता चित्तौड़ा सहित कई समाजजन आ पहुंचे। सुखेर थानाधिकारी मांगीलाल पंवार भी जाप्ता लेकर पहुंचे। लोगों ने आक्रोश जताया कि रात 12 बजे तक गरबे चलने से क्षेत्र में चहल पहल थी। दो बजे बाद चोरों ने वारदात को अंजाम दिया।
बताया गया कि चोरों ने मंदिर में घुसने के लिए मुख्य द्वार का ताला तोड़ा। इंटरलॉक नहीं टूटने पर पिछवाड़े की खिडक़ी की जाली तोडक़र घुसे। निज मंदिर में भी ताला व इंटरलॉक तोडऩे का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं होने पर एक दरवाजा ही तोड़ डाला। चोर मुख्य मंदिर से पाषाण प्रतिमाओं के पास ही रखी भगवान शांतिनाथ, 24 तीर्थंकर भगवान, महावीर स्वामी, पाश्र्वनाथ, आदिनाथ, शांतिनाथ भगवान की अष्टधातु की पांच प्रतिमाएं, बाहरी परिसर से पद्मावती की मार्बल की दो प्रतिमाओं के अलावा चांदी के छह छत्र, बर्तन, पूजन सामग्री आदि ले गए। परिसर में मार्बल के दो गल्ले तोडक़र करीब ढाई हजार रुपए भी ले भागे। सुबह पुजारी बालू सेवक पहुंचा तो प्रतिमाएं गायब थीं। उसने समाज के अध्यक्ष रूपलाल चित्तौड़ा को सूचना दी। कुछ ही देर बाद रमेश चित्तौड़ा, अनिल चित्तौड़ा, नारायण देवी, सरपंच संगीता चित्तौड़ा सहित कई समाजजन आ पहुंचे। सुखेर थानाधिकारी मांगीलाल पंवार भी जाप्ता लेकर पहुंचे। लोगों ने आक्रोश जताया कि रात 12 बजे तक गरबे चलने से क्षेत्र में चहल पहल थी। दो बजे बाद चोरों ने वारदात को अंजाम दिया।
पुलिस अधीक्षक को दिया ज्ञापन
मंदिर में चोरी के बाद आक्रोशित समाजजनों ने बुधवार को पुलिस अधीक्षक से भेंटकर उन्हें चोरी ज्ञापन दिया। गौरतलब है कि इससे पूर्व चोर घंटाघर स्थित मंदिर से भी अति प्राचीन मूर्तियां चुरा ले गए थे, उसका आज तक खुलासा नहीं हो पाया।