उद्घाटन सत्र के मु य अतिथि हिन्दुस्तान एयरोनोटिकल लिमिटेड बेंगलूरू के सीएमडी आर.माधवन थे। उन्होंने इंजीनियरिंग क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत बताते हुए कहा कि इसके लिए हमें मौलिक रिसर्च पर ध्यान देना होगा। विशिष्ट अतिथि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के प्रेसिडेंट शिशिर बनर्जी थे। अध्यक्षता इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के प्रेसिडेंट टीएम गुनाराजा ने की। इस मौके पर 15 उद्योगों को इंडस्ट्री एक्सीलेंस पुरस्कार वितरित किए गए। नेशनल डिजाइन अवार्ड, से टी अवार्ड, क्वालिटी अवार्ड भी प्रदान किए गए। अतिथियों ने तकनीकी वॉल्यूम व सॉविनियर का अनावरण किया।
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के लोकल सेन्टर की ओर से आयोजित कांग्रेस के दो तकनीकी सत्रों में कुल 115 शोधपत्रों का वाचन किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद 61वां सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया स्मृति व्या यान हुआ जिसमें चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर नेशनल हाइड्रोपावर कॉरपारेशन बलराज जोशी ने इंजीनियरिंग के पितामह डॉ. विश्वेश्वरैया के विजन पर विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजन समिति अध्यक्ष सोहनसिंह राठौड़, सह अध्यक्ष अनुरोध प्रशांत शर्मा, आयोजन सचिव यवंतीकुमार बोलिया सहित कई स्थानीय अधिकारी मौजूद थे।
उद्योगों की जरूरत के अनुरूप हो पाठ्यक्रम : बनर्जी दी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के प्रेसिडेंट शिशिरकुमार बनर्जी का कहना है कि इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो देश-विदेश में चल रहे उद्योगों और इंजीनियरिंग कार्यों के अनुरूप हो। वर्तमान में यह जरूरी है कि हम रिसर्च व डवलपमेंट पर फोकस करें। इसके लिए इंस्टीट्यूशन बकायदा हर दो-दो ला ा के प्रोजेक्ट पर 50-50 हजार रुपए दे रहा है, ताकि कुछ नवाचार हो सके। उन्होंने कहा कि हमारी नई पौध कमजोर है, क्योंकि शिक्षण से वे इतना नहीं सी ाते जिससे वे औद्योगिक सवालों के उत्तर दे सकें। ऐसे में उन्हें काम नहीं मिलता। उद्योग अलग तरीके से चल रहे हैं और पाठ्यक्रम अलग हैं, ऐसे में जो जरूरत है वह पूरी नहीं हो पा रही
हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमि के सीएमडी आर माधवन राफेल मामले में कुछ ाी बोलने से मुकर गए, उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान एयरोनोटिकल लिमिटेड अपने यहां राफेल को बनाने में सक्षम था, लेकिन सरकार ने जरूरत के आधार पर तेजी से इसे ारीदने का मन बनाया था, फिलहाल 36 एयरक्रा ट की ारीद की है, ऐसे में इन्हें बनाने का कोई मतलब नहीं था। माधव ने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज से जो विद्यार्थी पास हो रहे है, उन्हें रोजगार मिलता है कि नहीं ये ज्यादा महत्वपूर्ण है। जो पास होते हैं उन्हें उद्योगों में जगह मिल सके, इसके लिए उनका कौशल विकास जरूरी होता है। नेशनल स्कील डवलमेंट काउंसिल से हर इंजीनियरिंग कॉलेज से उत्तीर्ण होने के बाद विद्यार्थियों को वहां से तैयार करने की शुरुआत की गई है, ताकि उन्हें प्रमाण पत्र मिल सके, ताकि जहां जाएंगे मेक इन इंडिया में ाुद के इंजीनियर्स को जगह मिल सके।
कार्यक्रम में अपनी बात र ाते हुए माधवन ने अपने 36 वर्ष के अनु ाव को साझा किया, उन्होंने कहा कि कैसे एयरोनोटिकल डिजायन को तैयार किया जाता है और कैसे एयर क्रा ट बनाए जाते हैं, इसके लिए रचनात्मकना होना जरूरी है, प्रायोगिक तौर पर नवाचार और रिसर्च कितना काम आता है।
READ MORE : 11 एक्जीक्यूटिव सदस्यों में से छह ने लगाया ा्रष्टाचार का आरोप, की कोलकाता शिकायत 33 वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के आयोजन को लेकर पांच सितारा होटल में आयोजन करने एक्जीक्यूटिव 11 सदस्यों में से 6 ने विरोध जताया है। इनमें से हेमन्त ांडारी व मदन छाजेड़ का कहना है कि शहर से 20 किलोमीटर दूर इस होटल में आयोजन को लेकर कमेटी के स ाी सदस्यों की रजामंदी नहीं होने के बाद ाी वहां आयोजन किया गया। इसे लेकर उन्होंने दी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के सैक्रेट्री और डायरेक्टर जनरल सौर ा ाट्टाचार्य कोलकाता को शिकायत दर्ज करवाई है। सदस्यों का कहना है कि उन्हें आयोजन को लेकर किसी ने ना तो जानकारी दी ओर ना ही बुलाया गया।
उदयपुर लोकल के हर व्यक्ति ने सपोर्ट किया है, वर्तमान में यहां करीब एक हजार लोग पहुंचे हैं। हर व्यक्ति की ाावनाएं इसमें जुड़ी हुई हैं। इन सदस्यों को अलग से फायदा चाहिए, इसलिए वे बिना किसी काम के विरोध कर रहे हैं।
अनिरूद्ध प्रशान्त, अध्यक्ष दी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स उदयपुर लोकल सेन्टर