परिवादी चुन्नीलाल ने रिपोर्ट में बताया कि घटना वाले दिन गांव में गवरी के समापन पर गळावण-वळावण कार्यक्रम चल रहा था। सभी लोग मंदिर में एकत्रित हुए। भोपे व अन्य ग्रामीण माताजी की सेवा कर रहे थे। तब ही भानाराम अचानक उठकर घर की तरफ रवाना हो गया और चिल्लाते हुए मां गंगली को भोपे को बुलाने की बात कहते हुए रवाना कर दिया। बाद में वह आंगन में ही खेल रहे अपने 3 साल के मासूम तुलसीराम को उठाकर कमरे में चला गया। अंदर से दरवाजा बंद होने पर चुन्नीलाल व लालूराम को शक हुआ, उन्होंने मकान के पिछवाड़े जाकर केलू हटाकर जब झांका तो भानाराम अपने पुत्र पर तलवार से हमला कर रहा था। वे लोग उतर कर दरवाजे तक पहुंचे तब तक आरोपी ने स्वयं पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। जलती हुई अवस्था में ही वह तलवार लेकर बाहर दौड़ गया। पुलिसकर्मी हड़मत सिंह व गणपत ने उसे रोकने का प्रयास किया तो आरोपी ने उन पर भी तलवार से वार कर दिया। हमले में दोनों को भी चोटें आई। बाद में पुलिस ने उसे पकडक़र आग बुझाई।
मासूम की जघन्य हत्या के घटनाक्रम में उसकी दादी गंगली व मां मुख्य गवाह थी। लेकिन दोनों ही सुनवाई के दौरान न्यायालय में पक्षद्रोही हो गई। न्यायालय ने इसके बावजूद पर्याप्त साक्ष्य होने पर आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई।