कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में टी-24 के लिए सघन वन से घिरी पहाडिय़ों के बीच 400 हेक्टेयर का इनक्लोजर बनाना प्रस्तावित है। गहरी कंदराओं में अवस्थित महुड़ी खेत के जंगल के प्राकृतिक वातावरण को वन विभाग उस्ताद टी-24 के लिए मुफीद माना जा रहा है। भविष्य में टाइगर टी-24 की शिफ्टिंग के बाद पर्यटकों की संख्या तो बढ़ेगी जिससे पर्यटन उद्योग को पंख लगेंगे। दुर्ग की पिछली चारदीवारी के नीचे ढलानी क्षेत्र एवं नाले से सटे करीब 400 हेक्टेयर के बड़े भू-भूभाग में बड़ा व छोटा दो इनक्लोजर बनाए जाने हैं।
सूत्रों ने बताया कि रायों की बावड़ी से पैदल भ्रमण के लिए ठण्डी बेरी और मुछाला महावीर जाने वाला 12 किमी. का यह रास्ता इनक्लोजर बनने के बाद बंद हो जाएगा। सामरिया कुंड से महुड़ी खेत तक बड़ी-बड़ी पहाडिय़ों के बीच नाले में बनने वाले पांच एनिकट बारिश में लबालब हो जाएंगे। घने पेड़-पौधों व पानी से तर इस अभयारण्य में टाइगर टी-24 की दहाड़ खूब गूंजेगी। सूत्रों के मुताबिक किले के ऊपर से पर्यटक इनक्लोजर में रहने वाले टाइगर को आसानी से निहार सकेंंगे।
READ MORE : उदयपुर में बोले मोहन भागवत, राम का काम करना है और राम का काम होकर रहेगा छोड़े जाएंगे छोटे वन्य जीव सादड़ी रेंज के सहायक उप वन संरक्षक यादवेन्द्र सिंह चुण्ड़ावत ने बताया कि टाइगर टी-24 की शिफ्टिंग के मद्देनजर सांभर, नील गाय समेत कई वन्यजीव इनक्लोजर में छोडऩे पर मंथन किया जा रहा है। शिफ्ंिटग के बाद पहले तो उसे वर्तमान में दिया जा रहा चिकित्सकीय भोजन ही दिया जाएगा। जब वह पूरी तरह से अभयारण्य के प्राकृतिक माहौल में रम जाएगा, तब इनक्लोजर में ये वन्य जीव छोड़े जाएंगे ताकि वह स्वयं शिकार कर अपना भोजन करेगा।
610 वर्ग किमी. में फैला है अभयारण्य कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य उदयपुर, राजसमंद व पाली जिलों के 610 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसमें उदयपुर जिले की बोखाड़ा रेंज, राजसमंद की कुंभलगढ़ व झीलवाड़ा एवं पाली की सादड़ी व देसूरी रेंज शामिल हैं। इतने बड़े भू-भाग में फैले इस अभयारण्य पैंथर, भालू, सूअर, चौसिंगा समेत दर्जनों प्रजाति के वन्य जीव रहते हैं।