scriptवायरस के वेरिएंट जानने के लिए राज्य की एकमात्र जयपुर में ही लैब, उदयपुर हाई रिस्क जोन, यहां भी हो एेसी जांच | To know the variants of the virus, the only lab in the state is in Jai | Patrika News

वायरस के वेरिएंट जानने के लिए राज्य की एकमात्र जयपुर में ही लैब, उदयपुर हाई रिस्क जोन, यहां भी हो एेसी जांच

locationउदयपुरPublished: Aug 01, 2021 08:31:28 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– यहां खुलते ही कुछ देर में ही चलेगा पता कि क्या है वेरिएंट

वायरस के वेरिएंट जानने के लिए राज्य की एकमात्र जयपुर में ही लैब, उदयपुर हाई रिस्क जोन, यहां भी हो एेसी जांच

वायरस के वेरिएंट जानने के लिए राज्य की एकमात्र जयपुर में ही लैब, उदयपुर हाई रिस्क जोन, यहां भी हो एेसी जांच

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. प्रदेश में कोरोना वायरस की जाति यानी उसका वेरिएंट जानने के लिए एकमात्र लैब राजधानी जयपुर में है, जबकि उदयपुर हाई रिस्क जोन है, यहां अब तक ५५ हजार से अधिक संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं, वहीं यहां लगातार अलग-अलग वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं, एेसे में यहां भी वेरिएंट का पता चल सके, एसी लैब खुलनी चाहिए। इसका लाभ संभाग के सभी छह जिलों (उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमन्द, चित्तौडग़ढ़ व प्रतापगढ़) सहित समीपस्थ जिले सिरोही, जालोर व पाली को भी मिलेगा। इतना ही नहीं यहां मध्यप्रदेश से आने वाले मरीजों को भी फायदा होगा।
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आरएनटी में लगे जीन सिक्वेंसिंग मशीन तो बात बने

– आरएनटी मेडिकल कॉलेज में यदि जीन सिक्वेंसिंग मशीन लगती है, तो उससे ये पता चल सकता है कि कोई व्यक्ति कोरोना के कौनसे वेरिएंट से संक्रमित है। इसका पता चलने के साथ ही तय वेरिएंट के अनुसार ट्रीटमेंट व प्रोटोकॉल का तत्काल पालन शुरू हो जाएगा और मरीज का जीवन ज्यादा सुरक्षित हो सकेगा।
– नियमानुसार जीन सिक्वेंसिंग मशीन केवल राज्य स्तरीय लैब को ही उपयोग की अनुमति है, यानी वह आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त होती है। जयपुर में स्टेट रेफ रेंस वीआरडीएल यानी वायरल रिसर्च डायग्नोस्टिक लेबोरेट्री में यह मशीन इसकी जांच करता है।
– वेरिएंट का पता तब ही चल सकता है, जब उस नमूने को जीन सिक्वंेसिंग मशीन से जांचा जाए, लेकिन विशेष बात ये है कि किसी भी मेडिकल कॉलेज स्तर की लैब को इसकी जांच की अनुमति या मान्यता नहीं है, वह तब ही मिल सकती है, जब आईसीएमआर की एपेक्स लैब गर्वनिंग बॉडी इसकी मान्यता जारी करें। फिलहाल इसकी मान्यता में पुणे स्थित एनआईवी लैब व एनसीडीसी दिल्ली सहित कुछ अन्य लैब को इसकी स्वीकृति दी है।
– उदयपुर से नमूने जांचने के लिए आईजीबाईबी लैब दिल्ली भेजा जाता है। वहां से एक पखवाडे़ बाद रिपोर्ट मिलती है।

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आरटीपीसीआर टेस्ट: इससे किसी भी वेरिएंट का पता नहीं चल सकता। यह हर वायरस को ट्रेस कर सकता है, उसकी जाति यानी वेरिएंट नहीं। यदि किट व प्रोटोकॉल हो तो ये टेस्ट किसी भी प्रकार के संक्रमण की जानकारी दे देगा। आरएनए और डीएनए सभी प्रकार के वायरस इसमें ट्रेस हो जाते हैं।
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उदयपुर से नमूने बाहर भेजकर फिलहाल वैरिएंट का पता किया जा रहा है, जयपुर में जीन सिक्वेंसिंग होती है, साथ ही किसी भी मेडिकल कॉलेज स्तर पर खोलने के लिए आईसीएमआर की मान्यता जरू री है, नहीं तो सिक्वेंसर लगाने के बाद भी इसकी जांच को मान्यता नहीं मिलेगी।
डॉ अंशु शर्मा, प्रभारी माइक्रोबायॉलोजी लैब आरएनटी

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