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ट्रेनर्स ने किया वायु, जीव, जलमंडल पर मंथन

locationउदयपुरPublished: Oct 19, 2019 02:51:22 am

Submitted by:

Pankaj

ग्लोबल एनवायरमेण्ट लर्निंग मास्टर ट्रेनर्स ट्रेनिंग वर्कशॉप

ट्रेनर्स ने किया वायु, जीव, जलमंडल पर मंथन

ट्रेनर्स ने किया वायु, जीव, जलमंडल पर मंथन

उदयपुर . वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली एवं राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड संगठन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन दो चरणों में स्काउट गाइड मण्डल मुख्यालय उदयपुर पर किया जा रहा है।
पहले दिन सेमीनार में बीकानेर, जोधपुर उदयपुर संभाग के ईको क्लब प्रभारी स्काउटर्स गाइडर्स, स्टाफ एवं सर्विस रोवर रेंजर सहित 95 सदस्य सम्मिलित हुए। वर्कशॉप का शुभारम्भ राज्य संगठन आयुक्त स्काउट राजस्थान गोपाराम माली के द्वारा किया गया। ग्लोबल इनवायरमेण्ट लर्निंग एण्ड ओब्जरवेशन टू बेनिफिट द इनवायरमेण्ट 2019-20 राजस्थान प्रदेश में ईको क्लब विद्यालयों के माध्यम से छात्र-छात्राओं के माध्यम से ग्लोबल एनवायरमेण्ट के प्रति जागरूकता लाने के लिए मास्टर ट्रेनर्स ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।
प्रमुख वक्ता डॉ. आरके गर्ग, उपप्रधान, राष्ट्रीय पर्यावरण सोसायटी, नई दिल्ली ने संभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि ग्लोबल कार्यक्रम एक अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान और शिक्षा कार्यक्रम है, जो छात्रों और जनता को डेटा संग्रह और वैज्ञानिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है। पृथ्वी प्रणाली और वैश्विक पर्यावरण की हमारी समझ मे सार्थक योगदान देने के लिए कार्यक्रम द्वारा घोषित किया गया था। जिसमे शोध के विषय वायुमंडल, जीवमंडल, जलमंडल एवं पेडोस्फीयर है।
गर्ग ने वायुमंडल, जीवमंडल, जलमंडल एवं पेडोस्फीयर पर स्लाइड शो एवं थ्योरी के आधार पर विस्तृत जानकारी दी तथा छात्र छात्राओं द्वारा उपरोक्त गतिविधियों पर कार्य करते हुए डेटा संग्रह कर गुगल पर उपलोड करने की प्रक्रिया को समझाया। इस अवसर पर वर्कशॉप में सम्मिलित संभागियों द्वारा कई प्रकार के प्रश्न किये गये जिसकी जानकारी देते हुए गर्ग ने उनकी जिज्ञासा को शान्त किया। इससे पूर्व गोपराम माली ने कहा कि मनुष्य हर क्षेत्र में अकल्पित प्रगति कर पर्यावरण संकट के रूप में उस खतरनाक बिन्दु पर पहुंच रहा है, जहां विकास यात्रा पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।प्रत्येक जीव खासतौर से मानव को स्वस्थ एवं आनन्दमयी जीवन जीने के लिए सहज रूप से प्राप्त होने वाले साधन दुलर्भ लगने लग गए हैं। श्वास के लिए शुद्व हवाए पीने के लिए पानी, खाने के लिए शुद्ध भोजन पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति इन सबकी स्वतंत्र सत्ता है। इस पर आदमी का अतिक्रमण बनने से पर्यावरण प्रदूषित होने लगा है। आज धारण बनी हुई है कि सब पदार्थ मनुष्य के उपभोग के लिए बने हैं, यह मिथ्या दृष्टि कोण ही प्रदूषण का मूल कारण है और यदि माना जाय तो गलत भी नहीं होगा।

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