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राज बदले पर नहीं बदली तस्वीर, गांवों की मुश्किल भरी है डगर

locationउदयपुरPublished: Jul 20, 2019 01:42:58 pm

Submitted by:

madhulika singh

उदयपुर जिले के 2471 में से आज भी 420 गांव पक्की सडक़ (road) से नहीं जुड़ पाए है। जिससे आदिवासियों को कच्चे व दुगर्म राह नापनी पड़ रही है।

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राज बदले पर नहीं बदली तस्वीर, गांवों की मुश्किल भरी है डगर

मानवेन्द्रसिंह राठौड़/उदयपुर. राज्य में कितनी ही सरकारें आईं और गईं लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी ग्राम्यांचल की जनता सडक़ों जैसी मूलभूत सुविधा से महरूम है। चुनावों में वादे कर वोट हथियाने वाले नेता पांच साल तक जनता को मुंह नहीं दिखाते और आमजन खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। चुनावी घोषणा पत्रों व बजट घोषणाओं में सरकार हर वर्ष प्रदेश में हजारों किलोमीटर नई सडक़ें (Ministry of Road Transport) बनाने की डींगे भी खूब हांकती है, जबकि हकीकत में स्थिति उलट है। उदयपुर जिले के 2471 में से आज भी 420 गांव पक्की सडक़ से नहीं जुड़ पाए है।
जिससे आदिवासियों को कच्चे व दुगर्म राह नापनी पड़ रही है। आदिवासी इलाकों में कई जगह वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने से भी गांव मुख्य सडक़ से नहीं जुड़े और आखिरकर सार्वजनिक निर्माण विभाग को स्वीकृतियां निरस्त करनी पड़ी। वर्ष 2011 की जनसंख्या में 500 से अधिक की आबादी वाले गांवों को प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना(Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) में मुख्य सडक़ों से जोडऩा था, जो अभी तक नहीं जुड़ पाए हैं। वर्ष 2001 की जनसंख्या में 250 से 500 की आबादी के गंावों को जोडऩा था, वे भी नहीं जुड़ पाए है और ये गांव भी 2011 की आबादी में शामिल हो गए है। जिससे ग्रामीणों का पक्की सडक़ का सपना अधूरा ही रह गया है।
वन भूमि की एनओसी का लगा अडंग़ा
आदिवासी बहुल झाड़ोल, कोटड़ा, गोगुंदा व सराड़ा क्षेत्रों के पहाड़ी इलाकों में वन्य जीव अभयारण्य की भूमि आने से 8 गांवों की जनता पिछले 12 वर्षों से पक्की सडक़ बनने का इंतजार कर रही है, लेकिन उनकी सडक़े बनने की मुराद पूरी नहीं हो पाई है। करीब 25 हैक्टेयर से अधिक भूमि वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में आ रही है और उसके लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग वर्ष 2007 से फाइलें चलाता रहा है, लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने से अब स्वीकृतियां निरस्त कर दी गई है। एनओसी के लिए उदयपुर व जयपुर के बीच दर्जनों बार फाइलें इधर-उधर दौड़ती रही और आपत्तियों के भंवरझाल में सब कुछ उलझ गया। अब सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सभी सडक़ों की स्वीकृतियांं निरस्त कर दी है।
उदयपुर जिले के 8 गांवों में पक्की सडक़ें बनाने की स्वीकृतियां जारी की गई थी, लेकिन वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने से सडक़ें नहीं बन पाई है। कई बार फाइलें चली लेकिन तकनीकी आपत्तियों के चलते खारिज कर दी गई है। अब स्वीकृतियां ही विभाग ने निरस्त कर दी है। 420 गांवों में सडक़ें वर्ष 2001 व 2011 की आबादी में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana व अन्य स्कीम में बनना प्रस्तावित है। आबादी के अनुपात में सरकार चरणबद्व तरीके से बजट बनाती है। इस बजट में पहले 500 से अधिक की आबादी वाले गांवों को सडक़ों से जोडऩे की घोषणा हुई है। 1000 की आबादी वाली शेष सडक़ें बजट मिलने पर ही बनना संभव है। डीआर मेघवाल, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग
आबादी के अनुपात में कितने गांव सडक़ से है वंचित…

आबादी गांवों की संख्या
1000 22
500 58
250 140
100 145
100 से कम 55
कुल 420

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