यह है वर्तमान स्थिति
आदिवासी बहुल उदयपुर संभाग में उच्च शिक्षा में जनजाति विद्यार्थियों का नामांकन प्रतिशत जयपुर , अजमेर , कोटा आदि संभागों की तुलना में काफी कम है। ग्रामीण क्षेत्र में संसाधनों की कमी और उचित मार्गदर्शन के अभाव में बड़ी संख्या में विद्यार्थी स्कूल शिक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा में ग्रामीण क्षेत्रों से काफी कम विद्यार्थी भाग लेते हैं।
READ MORE: VIDEO: लोक सेवक संरक्षण संबंधी विधेयक के विरोध में अब उतरे पत्रकार , कहा लोकतंत्र के लिए खतरा है अध्यादेश
ब्लॉक स्तर पर है सुविधाओं का अभाव
जनजाति विभाग की ओर से स्कूल स्तर पर शिक्षा में सुधार के लिए आवासीय, आश्रम और बहुउदेशीय छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। कोटड़ा, झाड़ोल, फलासिया, गोगुंदा, खेरवाड़ा में संचालित महाविद्यालयों में सीटें सीमित हैं और आधुनिक सुविधाओं का अभाव है। सर्वाधिक दयनीय स्थिति बालिका शिक्षा की है। उच्च शिक्षा में आदिवासी बहुल क्षेत्रों की बालिकाओं को नामांकन प्रतिशत करीब 10 प्रतिशत ही है, जो चिंताजनक है।
ब्लॉक स्तर पर है सुविधाओं का अभाव
जनजाति विभाग की ओर से स्कूल स्तर पर शिक्षा में सुधार के लिए आवासीय, आश्रम और बहुउदेशीय छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। कोटड़ा, झाड़ोल, फलासिया, गोगुंदा, खेरवाड़ा में संचालित महाविद्यालयों में सीटें सीमित हैं और आधुनिक सुविधाओं का अभाव है। सर्वाधिक दयनीय स्थिति बालिका शिक्षा की है। उच्च शिक्षा में आदिवासी बहुल क्षेत्रों की बालिकाओं को नामांकन प्रतिशत करीब 10 प्रतिशत ही है, जो चिंताजनक है।
आईआईटी, आईपीएमटी और पीएमटी की कोचिंग के लिए विभाग ने फैलोशिप योजना लागू की है जिससे जनजाति विद्यार्थियों को काफी लाभ मिलेगा। कोचिंग और उचित मार्गदर्शन मिलने पर जनजाति विद्यार्थी मेडिकल और तकनीकी संस्थानों में प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
दिनेश जैन, टीआरआई निदेशक उदयपुर