12 अगस्त को 11:12 बजे तक अष्टमी रहेगी तथा मध्यरात्रि के बाद 3:21 बजे रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश होगा। ऐसे में 12 अगस्त को वैष्णव समुदाय की ओर े (श्री विष्णु एवं गुरु द्वारा कंठी दी जाती है) पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन रोहिणी नक्षत्र एवं अष्टमी का संयोग होगा। पं. खण्डेलवाल बताते हैं कि यही उद्दात्त एवं प्रामाणिक सिद्धांत है।
ऐसा इसलिए हुआ प्रति तीसरे वर्ष ऐसा होता है कि जिस दिन अष्टमी होती है, उस दिन रोहिणी नक्षत्र नहीं होता। सूर्य वर्ष में 365/१-४ दिन और चन्द्रवर्ष में 354 दिन यानी प्रतिवर्ष सवा दिन चन्द्रवर्ष में वृद्धि होती है, जो हर तीसरे साल अधिकमास बन जाता है। इस वर्ष अश्विन मास अधिकमास है। आगामी अश्विन मास कृष्णपक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र ही है।