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मिलीभगत से यूं चल रहा था हथियारों की गड़बड़ी का खेल, ऐसे समझे पूरा मामला

locationउदयपुरPublished: Sep 13, 2017 12:08:00 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

उदयपुर में मिलीभगत का चलता था ऐसा खेल…  

udaipur: 13 licenses and 20 weapons seized at udaipur
उदयपुर. जम्मू-कश्मीर से फर्जी तरीके से लाइसेंस बनवाकर अवैध हथियार सप्लाई करने वाले रैकेट का भंडाफोड होने के बाद पूरे राज्य में फर्जी लाइसेंस लेने वालों में खलबली मच गई। अजमेर के आम्र्स एंड एम्युनेशन डीलर वली मोहम्मद एंड संस ने उदयपुर ही नहीं पूरे राज्य में फर्जी लाइसेंस की आड़ में स्वयं निर्मित हथियारों को बेचकर पैसे कमाए। कई रसूखदारों ने स्टेटस सिम्बल व दिखावे के लिए लाखों रुपए देकर लाइसेंस खरीदे तो कई अपराधी लाइसेंसशुदा होकर हथियार लेकर खुलेआम घूमने लगे।
मिलीभगत से चल रहा था गड़बड़ी का खेल

– आम्र्स एंड एम्युनेशन डीलर वली मोहम्मद एंड संस ने वर्ष 1989 में अजमेर के तत्कालीन तहसीलदार व एक बाबू की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेजों से टोपीदार बंदूकों के धड़ल्ले से लाइसेंस बनाए। कई लोगों के मृत्युपरांत भी लाइसेंस बन गए। भंडाफोड में एक हजार से ज्यादा लाइसेंस जारी होने के बाद अजमेर, भीलवाड़ा व उदयपुर में अलग-अलग 37 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इन सब मुकदमों को एक कर कोटड़ी (भीलवाड़ा) न्यायालय में मामले चले।
– वर्ष 2006 में श्रीगंगानगर में भी हथियारों का फर्जीवाड़ा खुलने पर इसी फर्म का नाम आया था। हथियार निर्माता इस फर्म के लोगों ने मिलीभगत कर टोपीदार लाइसेंस में अतिरिक्त शस्त्रों को इन्द्राज करवा दिया। इनमें पिस्टल, रिवाल्वर, 12 बोर शस्त्र शामिल हो गए। अन्य शस्त्रों को लाइसेंस मिलते ही इस फर्म ने अपने निर्मित हथियारों को लाइसेंसियों के मार्फत धड़ल्ले से बेचे। वर्ष 2007 में कोटा के बूंदी में एक हिस्ट्रीशीटर के पास लाइसेंस होने पर भंडाफोड हुआ था। बाद में पूरे राजस्थान में हथियारों के फर्जी लाइसेंस को लेकर बवाल मचा था। उस वक्त तत्कालीन भाजपा सरकार ने संज्ञान लेते हुए होम सेके्रट्री के आदेश से टोपीदार बंदूक के अनुज्ञापत्र जारी करने का अधिकार तहसीलदार से छीनकर जिला कलक्टर को दिया।
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– इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद अजमेर की इस फर्म का लाइसेंस निरस्त किया गया, लाइसेंस रिन्यू नहीं होने के बावजूद उसने अपना धंधा जारी रखा। 
– श्रीगंगानगर के इस प्रकरण में उस वक्त कई अधिकारियों पर गाज गिरी लेकिन फर्म को कोई फर्क नहीं पड़ा। तिकड़बाज फर्म के लोगों ने फर्जीवाड़ा जारी रखा है। वर्ष 2007 से ही लोग पंजाब, मध्यप्रदेश व जम्मू-कश्मीर के लोगों से जुड़ गए। फर्जी लाइसेंस की आड़ में उसने धंधा बदस्तूर जारी रहा।
– अजमेर पुलिस के नाक के नीचे बरसों यह फर्जीवाड़ा चलता रहा लेकिन कभी किसी ने धरपकड़ नहीं की। वर्ष 2014 में लाइसेंसी वली मोहम्मद की मौत के बाद इस धंधे को उसके बेटे उस्मान व पोते जुबेर ने संभाला, उनसे भी पूछताछ नहीं की।
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