रिवर सिटी की रिवर मैली, आयड़ में डाली सीवर में ही लीकेज
उदयपुरPublished: Sep 26, 2022 10:29:47 pm
रिवर सिटी की रिवर मैली, आयड़ में डाली सीवर में ही लीकेज


मोहम्मद इलियास/उदयपुर उदयपुर को प्राचीन काल से गंगा जी पांचवा पाया माना जाता रहा है। आधुनिक जल विज्ञान की दृष्टि से परिभाषित करें तो आयड़ नदी गंगा जल प्रवाह तंत्र की फिफ्थ ऑर्डर ड्रेनेज डिस्ट्रिब्यूटरी है, इसके बावजूद इसे संवारने की बजाए इसके मूल स्वरूप में बदलाव कर जैव विविधता को खत्म किया जा रहा है। हालत यह है कि रिवर सिटी में शामिल होने के बाद आयड़ रिवर मैली पड़ी है। झील प्रेमियों ने रविवार को नदी में घूमते हुए अलग-अलग जगह पर पानी के नमूने लिए। प्रारंभिक जांच में ही यह पानी काफी विषैला व रसायनयुक्त मिला। नदी में डाले गई सीवरेज कई जगह से लीकेज मिली। उनका गंदा पानी सीधा गिरता मिला।
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नदी में डाले अधिकांश चेम्बर लीकेज, गंदा पानी पहुंच रहा उदयसागर
उदयपुर. नदी दिवस पर रविवार को झील प्रेमियों व विशेषज्ञों की टीम ने आयड़ नदी में श्मसान व सुभाषनगर क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता की जांच कर जैव विविधता का आकलन किया। टीम को सुभाषनगर में अधिकांश सीवर चेम्बर लीकेज मिले, इसका गंदा पानी टाइल के ऊपर से बह रहा था। यह पानी नदी के पानी के साथ मिलता हुआ सीधा उदयसागर जा रहा था। इस जगह के पानी के नमूने लेने पर यह काफी घातक मिले।
झीलप्रेमी अनिल मेहता, नंद किशोर शर्मा, तेजशंकर पालीवाल, महेश शर्मा, द्रुपद सिंह, दीपक चौधरी, दिगंबर सिंह, गेहरीलाल डांगी, कुशल रावल के साथ वनस्पति विभाग की डॉ. अनिता जैन, शोधार्थी योगिता दशोरा व पंकज सैनी ने आयड़ नदी का निरीक्षण किया। निरीक्षण में उन्हें नदी पेटे में डाली गई सीवरलाइन फूटी मिली। लीकेज सीवरलाइन व मेनहॉल से गंदा पानी टाइलिंग के ऊपर से बहता हुआ सीधा नदी के पानी में गिरता मिला। इसके अलावा सुभाषनगर में अधिकांश जगह पर टाइल उखड़ी हुई थी तथा काई व गंदगी फैली हुई थी।
इसके अलावा नदी मे जगह-जगह प्लास्टिक, पॉलीथीन व अन्य कचरे के ढेर पड़े मिले। लोग टाइल वाले पक्के भाग पर वाहन से कूडा करकट की बोरियां व थैलियों फेंकते देखे तो एक जगह पुलिया पर नदी में मृत पशु का विसर्जन किया हुआ था।
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पानी में उखड़ गई टाइल, पैसा हुआ व्यर्थ
झील प्रेमियों ने बताया कि नदी नालों के प्रवाह मार्ग किसी तरह का पक्का निर्माण नहीं करवाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद नदी पेट में पक्का निर्माण कर टाइल लगाई गई। इन टाइल को पक्का करने व नदी पेटे मे भराव डालने वहां जैव विविधता समाप्त हो गई है। टाइलिंग वाले हिस्से के पूर्व व बाद के नदी हिस्से में कई पेड़ मिले, जहां टाइल लगाने से उनकी उनकी झाडिय़ां समाप्त हो गई।
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