पक्षीविद् अनिल रोजर्स बताते हैं कि कुछ क्रेनर्स को ही इनसे ऊंचाई पर उड़ते हुए देखा गया है, यह विश्व में सबसे रोचक बर्ड माइग्रेशन माना जाता है। पक्षीविद् डॉ. अनिल त्रिपाठी ने बताया कि इतनी ऊंचाई पर जहां ठीक से सास लेना भी मुश्किल होता है, यह पक्षी अपनी यूनीक कार्डियो रेस्पेरेटरी फिजियोलॉजी के कारण यह कठिन सफर तय कर पाते हैं । उन्होंने बताया कि पक्षी को अंग्रेजी में हेडेड गूज एवं हिन्दी में सरपट्टी सवन कहा जाता इनके बाकी शरीर का भाग सफेद एवं स्लेटी होता है। स्थानीय भाषा में इन्हें भाटिया भी कहा जाता है जो अलग-अलग स्थानों पर भाषा एवं बोली के अनुसार बदल जाता है। प्रदूषण एवं अवैध शिकार के कारण इनके परियावास पर लगातार खतरा बना हुआ है।
READ MORE: जिम्मेदारों की ऐसी अनदेखी: जुलाई में दिए थे उपयोगिता प्रमाण पत्र, छह माह बाद भी नहीं हुआ भुगतान बर्ड फेस्टिवल 22 से उदयपुर . शहर एवं जिले के जलाशयों पर 22 से 25 दिसंबर तक होने वाले बर्ड फेयर को लेकर वन विभाग की तैयारियां अंतिम दौर में है। आयोजन का मुख्य आकर्षण पहली बार हो रही बर्ड रेस रहेगी। राजस्थान वन विभाग का वन्यजीव प्रभाग दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर शहर में चौथा ‘‘बर्ड फेस्टिवल’’ मनाने जा रहा है जिसमें ‘‘बर्ड रेस’’ एक मुख्य आकर्षण होगा। राजस्थान में इस तरह का यह प्रथम आयोजन होगा। वन्यजीव प्रभाग के मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने बताया कि बर्ड रेस के लिए पक्षी प्रेमियों को 6 दलों में बांटा जाएगा। प्रत्येक दल में 5 सदस्य होंगे। एक वरिष्ठ पक्षी प्रेमी दल का नेतृत्व करेगा। सभी दलों को 21 दिसंबर को बर्ड रेस के आयोजन की जानकारी मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में दी जाएगी तथा उन्हें एक वाहन तथा बर्ड लॉग-बुक प्रदान की जाएगी। टीमें 22 दिसंबर को सुबह पक्षी अवलोकन के लिए प्रस्थान करेगी।