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बिहारी समाज के लोगों ने घरों में डूबते सूर्य को दिया अर्ध्य

locationउदयपुरPublished: Nov 21, 2020 09:23:48 pm

बिहारी समाज के लोगों ने घरों में डूबते सूर्य को दिया अर्ध्य
इसबार झीलों पर नही हुई सामुहिक पूजा
36 घंटे निर्जल – निराहार रहकर सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देकर खोलेंगे व्रत

बिहारी समाज के लोगों ने घरों में डूबते सूर्य को दिया अर्ध्य

बिहारी समाज के लोगों ने घरों में डूबते सूर्य को दिया अर्ध्य

प्रमोद सोनी / उदयपुर, बिहारी समाज ने छठ पर्व शुक्रवार को मनाया। बिहार,यूपी,झारखंड में इस त्योहार का बेहद खास महत्व होता है. इस त्योहार को उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार कोराना संक्रमण के कारण झीलों के किनारें कुछ लोगों ने पूजा की वही अधिकांश लोगों ने अपने घरों में व आसपास खाली जगहों पर कुंड बनाकर अस्तांचल को जाते सूर्य को अर्ध्य दिया।
छठ पर्व के तहत तीसरे दिन शुक्रवार को छठ पर्व पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया । शाम को जलाशयों के किनारे और सुविधानुसार भूखंडों पर बनाए कुंड में श्रद्धालुओं ने पानी में खड़े रहकर अस्तांचल को जाते सूर्य का पूजन किया। उन्हें विविध नैवेद्य अर्पित किए और छठ पर्व मनाया। इस अवसर पर भजन भी गाए गए। इस बार शहर के जलाशयों के किनारे विभिन्न समितियों की ओर से कोई आयोजन नहीं किए गए। ऐसे में जलाशयों के किनारे सोशल डिस्टेंसिग व सादगी ही लोगों ने पूजा-अर्चना की।
झीलों पर की पूजा

फतहसागर के देवाली वाले छोर पर और रानी रोड स्थित छोर, स्वरूपसागर आदि पर शाम को कुछ श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालुओं ने यहां डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और श्रद्धा से पूजा की। इन स्थानों पर प्रतिवर्ष के मुकाबले इस बार कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रही।

घरों के नजदीक और पार्कों में की पूजा

कोरोना संक्रमण के कारण इस बार श्रद्धालुओं ने घरों के नजदीक खाली भूखंड और पार्कों में गड्ढ़े खोदकर इनमें प्लास्टिक बिछाकर कुंड बनाकर उसमें पानी भरा। इन कुंडों में खड़े रहकर डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया गया। इन कुंडों में एक-एक कर परिवार के अलग-अलग सदस्यों ने पूजा की।

36 घंटे के उपवास का आज होगा पारणा

छठ पूजन के तहत श्रद्धालुओं ने गुरुवार शाम को खरना पर्व का व्रत खोलकर पानी पीया। ये श्रद्धालु शुक्रवार को पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर शनिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अन्न-जल ग्रहण कर पारणा करेंगे। ऐसे में करीब 36 घंटे तक यह व्रत चलेगा।
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