कुराबड़ निवासी मांगीलाल पुत्र चुन्नीलाल सोनी ने 29 मई 1987 को खारवां निवासी कन्हैयालाल पुत्र कपूरचंद, करावली निवासी कैलाशचंद पुत्र शिवलाल सोनी, रूपचंद पुत्र धूलचंद जैन, हीरालाल पुत्र धूलजी पुजारी, गामड़ापाल चौकी के तत्कालीन हेडकांस्टेबल अभयसिंह, स्वरूपसिंह पुत्र सोहनसिंह राजपूत, तत्कालीन सीआई विजेन्द्र व्यास, तत्कालीन उपाधीक्षक सुरेशचन्द्र पण्ड्या व एएसआई शंकरसिंह पुत्र रामसिंह राजपूत के खिलाफ जान से मारने की धमकी देकर जबरन चांदी लेने व अवैध रूप से हिरासत में रखकर मारपीट करने का गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तगासे से मामला दर्ज करवाया था। मामले में सुनवाई के दौरान तक कन्हैयालाल, रूपचंद, हीरालाल, अभयसिंह व विजेन्द्र व्यास की मौत हो गई। तीन आरोपित कैलाशचंद सोनी, हेडकांस्टेबल स्वरूपसिंह व एएसआई शंकरसिंह के विरुद्ध आरोप सिद्ध होने पर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम-1 के पीठासीन अधिकारी धर्मराज मीणा ने धारा 330 व 347 में 3-3 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।
READ MORE: SMART CITY UDAIPUR: स्मार्ट इंटीग्रेटेड कमाण्ड सेंटर की बिल्डिंग तैयार, उद्घाटन अगले माह संभव परिवादी मांगीलाल ने इस्तगासे में बताया कि वह 29 मई 87 को ओडवाडिया पटेल मोहल्ला में दुकान पर था। तभी सलूम्बर थाने के तत्कालीन सीआई विजेन्द्र व्यास पुलिसकर्मी शंकरसिंह, अभयसिंह, अमरसिंह व ग्रामीण कन्हैयालाल सोनी हीरालाल पुजारी के साथ वहां आए। साथ में वे एक अनजान व्यक्ति को भी लाए, उसने उसकी तरफ इशारा किया तो सभी पुलिसकर्मियों ने उसे चोरी की चांदी खरीद का आरोप लगाया। मना किया तब भी उन्होंने एक नहीं सुनी, वे जबरन उसे चौराहे पर ले आए। लोगों ने पूछा कि इसे कहां ले जा रहे हो तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि हमारी मर्जी कहां भी ले जाए। उसके बाद वे सभी गामड़ापाल चौकी पर ले आए। वहां दोनों पैरों में पट्टे बांध दिए, दो सिपाही ने उन्हें पकड़ लिया। शंकरसिंह व अभयसिंह ने मारपीट की, वहां खड़े लोग और मारपीट करने के लिए कह रहे थे। पुलिसकर्मियों ने उसकी दोनों पगतलियों पर मारा जिससे उसके खून निकल आया। तब भी उन्होंने उसे पत्थर पर दौड़ाया। बाद में वे सलूम्बर थाने आए। वहां भी खूब मारपीट कर जबरन अपराध कुबूलने का दबाव बनाया। बाद में वे उसे उंडावेला लेकर गए जहां उसे उलटा लटकाया, मारपीट करते हुए खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए। सभी उसे वापस सलूम्बर लेकर आए और उसे चांदी लाकर देने का दबाव डालने लगे। ओडवाडिय़ा का इन्दरलाल जैन उससे मिलने आया, बाद में उसने बाजार से 700 ग्राम चांदी खरीदकर पुलिसकर्मियों को 600 रुपए के साथ दी। जमानत होने के बाद वह घर पहुंचा। हालत खराब होने पर परिजनों ने उसे उदयपुर चिकित्सालय में वार्ड 7 में भर्ती कराया। 15 दिन भर्ती रहने के बाद उसने इस्तगासे के जरिये मामला दर्ज करवाया।