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राज्य सरकार को महंगा पड़ गया राशि ना चुकाना, आखिर कोर्ट ने दिए ये आदेश

locationउदयपुरPublished: Jan 24, 2018 07:17:36 am

Submitted by:

Mohammed illiyas

उदयपुर कोषालय के खाते से अवार्ड राशि कुर्क करने का आदेश – गर्भवती महिला की मौत के मामले में राशि नहीं चुकाना राज्य सरकार को पड़ा महंगा

Udaipur Court Orders to pay the amount to Raj Government
उदयपुर . इलाज में लापरवाही से एक गर्भवती महिला की मौत के मामले में न्यायालय द्वारा जारी पांच लाख के अवार्ड की राशि समय पर नहीं चुकाना राज्य सरकार को महंगा पड़ गया। स्थाई लोक अदालत ने जिला कोषाधिकारी व बैंक प्रबंधक को राज्य सरकार के उदयपुर कोषालय के अकाउंट से ब्याज सहित 5 लाख 34 हजार 166 की राशि कुर्क कर चेक न्यायालय में जमा कराने के आदेश दिए।
अदालत के सदस्य सुशील कोठारी व बृजेन्द्र सेठ ने यह आदेश टीलाराम गमेती बनाम राज्य सरकार जरिए जिला कलक्टर, सीएमएचओ व प्रभारी अधिकारी पीएचसी सायरा के प्रकरण में पेश हकरसी के आवेदन पर दिया। 25 सितम्बर 2017 को पेश आवेदन में परिवादी ने राज्य सरकार के एसबीआई में कोषालय उदयपुर शाखा का पीडी अकाउंट संख्या 100 को कुर्क कर की मांग की थी। इससे पूर्व अवार्ड के आदेश की पालना में सीएमएचओ ने 31 अक्टूबर व 30 नवम्बर को न्यायालय से उच्च न्यायालय में स्थगन आदेश प्रस्तुत करने के लिए अवसर भी चाहा, न्यायालय ने यह मौका भी दिया लेकिन हकरसी के पेश आवेदन 20 दिसम्बर तक विपक्षियों ने शिथिलता बरतते हुए न तो स्थगन आदेश पेश किया न हीं अवार्ड राशि की पालना में शिथिलता बरतते हुए अनिश्चितकाल तक राशि रोके जाने का न्यायोचित कारण बताया।
चेतावनी भी दी थी

न्यायालय में पेशी पर उपस्थित सीएमएचओ व डॉ.एस.के.टांक को आदेश की पालना नहीं करने पर बैंक खाता कुर्की के आदेश की चेतावनी भी दी थी। इसके बावजूद विपक्षियों ने ध्यान नहीं दिया। न्यायालय ने खाते से राशि कुर्क कर जमा करवाने के आदेश दिए। साथ ही कहा कि नियत समयावधि में पालना नहीं करने पर संबंधित जिला कोषाधिकारी एवं बैंक प्रबंधक विधि अनुसार समुचित कार्रवाई के लिए व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होंगे। न्यायालय ने मामले की अगली पेशी 9 फरवरी नियत की।
यह था मामला

बड़ावली (गोगुन्दा) निवासी टीलाराम पुत्र भूरालाल गमेती ने परिवाद पेश में बताया था कि उसकी पत्नी लच्छीबाई को प्रसव पीड़ा होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पदराड़ा में दिखाया था। ममता कार्ड के अनुसार पत्नी की प्रसव की संभावित तारीख 8 मई 2012 थी लेकिन 20 अप्रेल को ही पीड़ा होने पर उसे स्वास्थ्य केन्द्र पदराड़ा पर चिकित्सकों को दिखाया। उसी दिन पत्नी ने एक शिशु को जन्म दिया लेकिन प्लेसेन्टा बाहर न आने से चिकित्सकों ने ऑपरेशन बीच में ही रोककर उसे उदयपुर ले जाने के लिए कहा। परिवादी अपने स्तर पर जीप से पीडि़ता को उदयपुर लेकर रवाना हुए लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। परिवादी ने वाद में बताया कि उदयपुर रवानगी के दौरान उसकी पत्नी की हालत गंभीर थी। उसे अत्यधिक रक्तस्त्राव हो रहा था, उसके बावजूद उसके साथ पैरामेडिकल स्टॉफ व एम्बुलेंस नहीं भेजा गया। प्री-डिलीवरी होन पर सावधानी बरतते हुए उसे सीधा उदयपुर भेजना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। टीलाराम ने इस संबंध में सायरा थाने में मामला भी दर्ज करवाया था। इसके अलावा मुख्यमंत्री सहायता कोष व जननी सुरक्षा योजना में 10 लाख की मांग की लेकिन नहीं मिली। न्यायालय ने सुनवाई के बाद विपक्षी राज्य सरकार व सीएमएचओ के विरुद्ध पांच लाख का अवार्ड पारित कर पृथक-पृथक या संयुक्त रूप दो माह में देने के आदेश दिए थे। नियत समय में भुगतान नहीं करने पर 10 प्रतिशत ब्याज के अलावा आवेदन खर्च पांच हजार रुपए अलग से देने को कहा था।
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