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टैक्स वसूलकर सरकारी खाते में नहीं डाला, बुढ़ापे में जेल की हवा

locationउदयपुरPublished: Mar 31, 2019 01:11:48 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

टैक्स वसूलकर सरकारी खाते में नहीं डाला, बुढ़ापे में जेल की हवा

CBDT प्रमुख ने आयकर विभाग को दी चेतावनी, कहा - Taxpayers और टैक्स कलेक्शन में करें बढोतरी

CBDT प्रमुख ने आयकर विभाग को दी चेतावनी, कहा – Taxpayers और टैक्स कलेक्शन में करें बढोतरी

मोहम्मद इलियास/उदयपुर
ग्राहकों से 2.87 करोड़ टैक्स वसूलने के बावजूद जान-बूझकर वस्तु एवं सेवाकर विभाग में जमा नहीं करवाने पर जयपुर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) ने न्यायिक अभिरक्षा में चल रही शहर की एक फर्म मालकिन की जमानत याचिका खारिज कर दी।आरोपी जनकपुरी बेड़वास निवासी मंजीत कौर पत्नी अजयपाल सिंह बंसल को वस्तु एवं सेवाकर आसूचना महानिदेशालय जयपुर आंचलिक इकाई ने गत दिनों वस्तु गिरफ्तार किया था। सुनवाई के दौरान पीठासीन अधिकारी अनिता सिंदल अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत खारिज करते हुए कहा कि यह मामला देश के विरुद्ध गंभीर आर्थिक अपराध है।

यह था आरोप
आरोप है कि परिवादिया की मैसर्स डायनामिक टीम सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 1 अपे्रल 2013 से 30 सितम्बर 2016 के दौरान अपनी सेवाकर देयता को ठीक से निर्वहन नहीं किया। 1 अक्टूबर 2016 से 31 माई 2017 के लिए सेवाकर विवरणी दायर नहीं की। ना ही सेवाकर देनदारी का निर्वहन किया। उक्त कंपनी ने ग्राहकों से लगभग 2.97 करोड़ की राशि सेवाकर के रुप में वसूल की लेकिन उसे सरकारी खाते में जमा नहीं करवाई।

गंभीर अपराध नहीं मिलना चाहिए जमानत का लाभ
आरोपी के अधिवक्ता ने तर्क किया कि विभाग ने जिस अवधि में सेवा कर बकाया बताया उस समय वह कंपनी में डायरेक्टर नहीं थी। दिसम्बर 2016 में वह इस पद पर नियुक्त हुई। परिवादिया के पति की मौत तक अमरसिंह नामक व्यक्ति कंपनी की देखरेख व संचालन कर रहा था, कंपनी के कृत्यों के लिए वह जिम्मेदार है। सम्मन के दौरान परिवादिया ने समस्त दस्तावेज भी उपलब्ध करवाए। विभाग ने तो नोटिस दिया न हीं टैक्स की डिमांड की। पूछताछ के लिए विभाग ने बुलाकर उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा परिवादिया द्वारा विभाग में करीब 75 लाख का टैक्स जमा करवाया जा चुका है। विशिष्ट लोक अभियोजक आर.एन.यादव ने तर्क दिया कि परिवादिया कंपनी में फाउंडर डायरेक्टर है तथा 90 प्रतिशत की शेयर होल्डर है। परिवादिया द्वारा उपलब्ध करवाए दस्तावेज में ही 2.97 करोड़ की बाकियात निकली है। उसने मात्र 12 लाख ही जमा करवाए है। इस जमा राशि से पता चलता है कि उसने नियमानुसार प्राप्त की गई सेवाकर की राशि जमा नहीं करवाई। परिवादिया ने ग्राहकों से टैक्स वसूल कर लिया और जान-बूझकर विभाग में जमा नहीं करवाया।

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