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दो मासूमों की कहानी सुन आप भी हो जाएंगे विचलित…कच्ची उम्र में जीवन का कठिन पाठ पढऩे की मजबूरी, टूटा पहाड़

locationउदयपुरPublished: Apr 03, 2019 01:11:02 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

दो मासूमों की कहानी सुन आप भी हो जाएंगें विचलित…कच्ची उम्र में जीवन का कठिन पाठ पढऩे की मजबूरी, टूटा पहाड़

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मोहम्मद इलियास/उदयपुर.
किशोरवय प्राय: खाने-खेलने की होती है लेकिन समय की मार ने दो किशोरों के जीवन के मायने ही बदल डाले। दोनों मामलों में इन बच्चों को पेट भरने के लिए वह सब कुछ करना पड़ा जिसे सुन कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं और यह प्रश्न कौंधता है कि क्या कोई पिता ऐसा भी कर सकता है?पहला मामला 11 वर्षीय बच्चे सोनू (काल्पनिक नाम) का है। उसके पिता ने दो शादियां रचाई। सोनू बाधक बना तो उसे उदयपुर में एक होटल वाले को सौंप दिया। होटल वाले ने भी शोषण करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। रोज 12 से 14 घंटे काम करवाया। इनमें नॉन वेज से भरे बड़े-बड़े तपेले, कढ़ाई आदि सफाई करवाने के साथ ही रोज-रोज गाली-गलौच, ताने व मारपीट शामिल थी। मेहनताने के रूप में दो हजार रुपए मासिक पगार तय की गई, वह भी पिता ले जा रहा था। एक साल से परेशान किशोर ने पैसे मांगे तो होटलकर्मी ने मना कर दिया। तंग आकर बच्चा मंगलवार सुबह 6 बजे साइकिल उठाकर उदयपुर से सागवाड़ा के लिए अकेला निकल पड़ा। वह भूखा-प्यासा दोपहर 12 बजे तक केवड़े की नाल पहुंचा। वहां पर सागवाड़ा का रास्ता पूछने के दौरान लोगों को अटपटा लगा तो उन्होंने सरपंच व पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पूछताछ की तो पूरा मामला खुलकर सामने आया। बच्चे का कहना था कि मां-बाप के छोडऩे पर वह सागवाड़ा में अपनी बुआ के यहां पला-बढ़ा। 11 साल की उम्र में वह अब तक महज दो दिन स्कूल गया। केवड़ा चौकी के प्रभारी हेड कांस्टेबल मनोहरलाल ने बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जिसे मनु सेवा संस्थान में आश्रय स्थल पर रखवाया गया।– निर्दय पिता की मारपीट से छोड़ा घरदूसरा मामला और भी हृदयविदारक है। सातवीं कक्षा के मेधावी बच्चे के साथ पिता शराब पीकर रोज मारपीट करता था जिससे परेशान होकर उसने घर छोड़ दिया। बच्चा बस में बैठकर एक माह पूर्व उदयपुर पहुंचा। यहां पर वह अस्पताल, चौराहे व फुटपाथ पर रात गुजार रहा है। भूख-प्यास से बेहाल होने पर एकाएक उसका मन भीख मांगने का किया लेकिन स्कूल में मिली सीख के चलते उसने अब तक किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए। वह प्रतिदिन दुकानों व निर्माण स्थलों पर काम कर 40 से 50 रुपए कमाते अपना पेट भर रहा है। यह बच्चा गांव के ही एक बाल श्रमिक के मावली में काम करने की जानकारी होने पर उससे मिलने पहुंचा लेकिन दुर्भाग्य से वह अन्य जगह जाने से मिल नहीं पाया। यह बच्चा वापस ट्रेन से उदयपुर पहुंचा तो आरपीएफ जाप्ते ने उसे पकड़ लिया। पूरी कहानी सुनने के बाद उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जीवन ज्योति संस्थान में आश्रय दिलाया गया। समिति ने बच्चे के अध्यापक से भी बात की तो पता चला कि वह अक्टूबर से गायब है। अध्यापकों ने बताया कि वह पिता से परेशान है, उसे वापस गांव नहीं भेजा जाए। बच्चे ने भी आगे पढऩे की इच्छा जताई है।– दोनों की बच्चों को अभी आश्रय स्थलों में रखवाया गया है। बच्चे के बारे में संबंधित थानों के बाल कल्याण अधिकारियों को सूचित कर आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा गया है। शीघ्र ही बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें शिक्षा से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा।बी.के.गुप्ता, बाल कल्याण समिति सदस्य

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