पिता ने जताई असमर्थता
पिता का कहना है कि उसके रोहन (बदला हुआ नाम) के अलावा एक बड़ी बच्ची व बच्चा भी है। बच्ची को उसने बहन के यहां छोड़ रखा है। बड़ा बच्चा दादी के पास रहता है। पत्नी तीनों बच्चों को छोडकऱ नाते चली गई। उसने रोहन को भी संभालने का प्रयास किया, लेकिन वह घर छोडकऱ चला गया। बार-बार जाने से उसने भी उसे उसके हाल पर छोड़ दिया। पिता ने समिति को बताया कि पेशे से ऑटो ड्राइवर होने से वह बच्चे को रखने में सक्षम नहीं है। पिता की असमर्थता पर समिति ने बच्चे को पुन: नारायण सेवा संस्थान में शेल्टर करवाते हुए उसके पिता को पाबंद किया कि वह हर माह बच्चे से मिलने वहां जाएगा।
पिता का कहना है कि उसके रोहन (बदला हुआ नाम) के अलावा एक बड़ी बच्ची व बच्चा भी है। बच्ची को उसने बहन के यहां छोड़ रखा है। बड़ा बच्चा दादी के पास रहता है। पत्नी तीनों बच्चों को छोडकऱ नाते चली गई। उसने रोहन को भी संभालने का प्रयास किया, लेकिन वह घर छोडकऱ चला गया। बार-बार जाने से उसने भी उसे उसके हाल पर छोड़ दिया। पिता ने समिति को बताया कि पेशे से ऑटो ड्राइवर होने से वह बच्चे को रखने में सक्षम नहीं है। पिता की असमर्थता पर समिति ने बच्चे को पुन: नारायण सेवा संस्थान में शेल्टर करवाते हुए उसके पिता को पाबंद किया कि वह हर माह बच्चे से मिलने वहां जाएगा।
बचपन में बालकों को माता-पिता और संरक्षकों के प्यार व देखरेख की सख्त जरुरत होती है। इसके अभाव में वो जीवन गवां बैठते हैं। ऐसे में अभिभावकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
बी.के.गुप्ता, बाल कल्याण समिति सदस्य
बी.के.गुप्ता, बाल कल्याण समिति सदस्य