परिवादी सुखराम वसुनिया ने एसीबी टीम को बताया कि वह किसान परिवार से है। बहन की बी-एड की फीस भी बहुत मुश्किल से जुटाई थी। इस बार सरकार की ओर से राहत मिल जाने के बावजूद कार्यालय प्रशासक योगेश वत्स ने प्रेक्टिकल और हाजिरी के नाम पर 25 हजार रुपए मांगे। उसके सामने बहुत गिड़गिड़ाया। कहा कि कोरोना काल की मुश्किलें और खेती किसानी में कम आमदनी के चलते रुपए नहीं है। सरकार ने प्रमोट कर दिया, फिर किस बात के रुपए ले रहे हो। फिर भी वह नहीं माना और 20 हजार रुपए मांगने पर तो अड़ ही गया। आखिर 15 हजार रुपए तो लेने पर तो उतारु ही हो गया। आखिर परिवादी ने हिम्मत जुटाकर एसीबी को शिकायत की तो आरोपी ट्रेप हो गया। ट्रेप होने पर आरोपी योगेश वत्स एसीबी के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा।
निजी संस्थानों की भी शिकायतें बढ़ी
एएसपी उमेश ओझा ने बताया कि संभवतया उदयपुर में यह पहला मामला है, जिसमें किसी निजी संस्थान में रिश्वत लेने पर कार्रवाई की गई। आमतौर पर सरकारी विभागों जायज सरकारी काम के बदले रुपए मांगने के मालमे आते रहते हैं, लेकिन अब निजी संस्थानों के खिलाफ भी शिकायतें आने लगी। पहले आमजन समझते थे कि रुपए लेना निजी संस्थान का हक है, लेकिन ऐसा नहीं है। सरकारी कामों से जुड़े निजी संस्थान भी नाजायज तरीके से रुपए लेते हैं तो वे भ्रष्टाचार के दोषी हैं।
एएसपी उमेश ओझा ने बताया कि संभवतया उदयपुर में यह पहला मामला है, जिसमें किसी निजी संस्थान में रिश्वत लेने पर कार्रवाई की गई। आमतौर पर सरकारी विभागों जायज सरकारी काम के बदले रुपए मांगने के मालमे आते रहते हैं, लेकिन अब निजी संस्थानों के खिलाफ भी शिकायतें आने लगी। पहले आमजन समझते थे कि रुपए लेना निजी संस्थान का हक है, लेकिन ऐसा नहीं है। सरकारी कामों से जुड़े निजी संस्थान भी नाजायज तरीके से रुपए लेते हैं तो वे भ्रष्टाचार के दोषी हैं।
जांच: अन्य विद्यार्थियों से भी पूछेंगे
एसीबी ने माना कि यह एक छात्रा का मामला है, जिसने हिम्मत करके एसीबी को शिकायत कर दी, जबकि इस सत्र में अनुमानित 100 विद्यार्थी बीएड कर रहे हैं। संभवतया अन्य विद्यार्थियों से भी रुपए लिए होंगे। विद्यार्थियों से भी पूछताछ की जाएगी। यही नहीं रिश्वत लेने को लेकर प्रिंसीपल की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
भरोसा : खराब नहीं होने देंगे पढ़ाई
एसीबी ने माना कि यह एक छात्रा का मामला है, जिसने हिम्मत करके एसीबी को शिकायत कर दी, जबकि इस सत्र में अनुमानित 100 विद्यार्थी बीएड कर रहे हैं। संभवतया अन्य विद्यार्थियों से भी रुपए लिए होंगे। विद्यार्थियों से भी पूछताछ की जाएगी। यही नहीं रिश्वत लेने को लेकर प्रिंसीपल की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
भरोसा : खराब नहीं होने देंगे पढ़ाई
एसीबी ने परिवादी और उसकी बहन छात्रा सुरना को भी भरोसा दिलाया कि ट्रेप की कार्रवाई के बाद भी उसकी पढ़ाई खराब नहीं होने दी जाएगी। गैर कानूनी गतिविधी सामने आने पर फिर शिकायत कर सकते हैं। पहले परिवादी और उसकी बहन इस बात से डर रहे थे कि रिश्वत की राशि नहीं देने पर कॉलेज की ओर से उसे फेल कर दिया जाएगा।