परिवादी यासीन खान ने बताया कि सहायक लेखाधिकारी राजेश खंडेलवाल पेंशन एरियर जारी करने के काम को अटका रहा था। इसके लिए दो माह से चक्कर कटवा रहा था। एक के बाद एक दस्तावेजों की कमी निकाल रहा था। शहर में किसी काम से आए परिवादी ने कहा कि उसके पास अभी तो 3 हजार रुपए ही है तो आरोपी राजेश ने उसमें से भी दो हजार रुपए ले लिए। परिवादी इससे पहले एसीबी में शिकायत कर चुका था। ऐसे में एसीबी ने दो हजार रुपए लेने की पुष्टि कर ली। बाकी 10 हजार रुपए लेने के लिए आरोपी बार-बार कहता रहा कि पेंशन जमा हो जाने पर उदयपुर आओ तो एटीएम कार्ड लेते आना।
बैंक को भी गलत ठहरा दिया
आरोपी ने परिवादी को कहा कि उसका बैंक अकाउंट गोगुन्दा के यूनियन बैंक में है, जो नहीं चलेगा। इसके लिए उदयपुर में खाता खुलवाओ। ऐसे में एसबीआई में खाता खुलवाना पड़ा।
जयपुर के नाम पर अटकाया
आरोपी ने परिवादी को कहा कि उसका बैंक अकाउंट गोगुन्दा के यूनियन बैंक में है, जो नहीं चलेगा। इसके लिए उदयपुर में खाता खुलवाओ। ऐसे में एसबीआई में खाता खुलवाना पड़ा।
जयपुर के नाम पर अटकाया
आरोपी खंडेलवाल ने परिवादी को कहा कि मां के जिंदा रहते नवम्बर में जीवित प्रमाण पत्र नहीं दिया था, इसलिए अब तो पेंशन जयपुर से स्वीकृत करानी पड़ेगी। इसके लिए जयपुर में साहब को 10 हजार रुपए देने पड़ेंगे।
चेहरे पर शिकन तक नहीं
आरोपी राजेश खंडेलवाल के ट्रेप हो जाने के बाद भी चेहरे पर शिकन तक नजर नहीं आई। जब एसीबी उसे कार्यालय से बाहर निकाल लाई तब भी वह मुस्कुराता नजर आया। ट्रेप होने से पहले वह परिवादी से रिश्वत की राशि लेने के लिए नीचे ले गया। चाय पीने को कहकर संकरी गली में ले जाकर रुपए मांग लिए।
आरोपी राजेश खंडेलवाल के ट्रेप हो जाने के बाद भी चेहरे पर शिकन तक नजर नहीं आई। जब एसीबी उसे कार्यालय से बाहर निकाल लाई तब भी वह मुस्कुराता नजर आया। ट्रेप होने से पहले वह परिवादी से रिश्वत की राशि लेने के लिए नीचे ले गया। चाय पीने को कहकर संकरी गली में ले जाकर रुपए मांग लिए।