पीडि़ता की साक्ष्य, स्वाभाविक व सत्य न्यायालय ने सुनवाई के दौरान माना कि जिस पीडि़ता से बलात्कार हुआ है, उसे केवल शारीरिक क्षति ही नहीं पहुंचती बल्कि किसी चिरस्थायी लज्जा की गहरी भावना रहती है। पीडि़ता की साक्ष्य स्वाभाविक, सत्य, भरोसेमंद, विश्वसनीय एवं ठोस पायी गई है, प्रकरण में आई मौखिक एवं प्रलेखीय साक्ष्य, जिसका पूर्व में विस्तृत विवेचन किया गया है, उसमें भी पीडि़ता की साक्ष्य की सम्पुष्टि हुई है। ऐसे में बलात्संग की शिकार पीडि़ता की परिसाक्ष्य को अस्वीकार किए जाने का कोई कारण विद्यमान नहीं है।