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उदयपुर

बलात्कार के आरोपी को 10 वर्ष की कैद

बलात्कार के बाद बेचने की दे रहा था धमकी, कोर्ट ने पहुंचाया 10 साल सलाखों में
 

उदयपुरJan 22, 2019 / 11:03 pm

Mohammed illiyas

Police officer did not write report, court sent sent to jail

Police officer did not write report, court sent sent to jail

मोहम्मद इलियास/उदयपुर

. टीड़ी क्षेत्र के बोरीकुआं गांव में डेढ़ वर्ष पूर्व विवाहिता से बलात्कार के आरोपी को न्यायालय ने दस वर्ष की कैद व 1.25 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

पीडि़ता ने 26 जुलाई 2017 को बोरीकुआं सुनिया कुडी (टीडी) निवासी नारायणलाल पुत्र मेघाजी मीणा के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को एक रिपोर्ट दी। बताया कि उसका पति पेशे से चालक होने से अधिकतर समय बाहर रहता है। वह 17 जुलाई को घर पर अपने बच्चों के साथ अकेली थी, तभी रात करीब 11 बजे आरोपी नारायण मीणा ने घर का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलते ही नारायण जबरन मकान में घुस गया एवं उससे बलात्कार किया। रात करीब एक बजे घर लौटे पति को उसने पूरी बात बताई तभी आरोपी वहां से भागने लगा। पति ने उसे पकड़ा तो उल्टा उसने ही पति के साथ लात घूसों से मारपीट कर दी। इस घटना के बाद 25 जुलाई को आरोपी पुन: छत वाले रास्ते से मकान में घुसने लगा तभी पति ने बाहर से उसे देख लिया। वह अंदर आया तो आरोपी बाथरूम में छिप गया। पति वहां गया तो आरोपी ने पति के साथ फिर से मारपीट कर दी। पीडि़ता के साथ अश्लील हरकत करते हुए अपहरण की धमकी दी। बाद में लगातार उसके पति को फोन कर पीडि़ता को उठाने व बेचने की धमकियां देने लगा।
पीडि़ता का कहना है कि आरोपी नारायण शादीशुदा होकर हॉकर का काम करता है। पति ने पूर्व में उससे कई बार ब्लैक में टंकियां ली उसने उसकी जान-पहचान हो गई थी। मामला दर्ज होने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया अपर लोक अभियोजक प्रेमङ्क्षसह पंवार ने आवश्यक साक्ष्य व दस्तावेज पेश किए। आरोप सिद्ध होने पर अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश (महिला उत्पीडऩ प्रकरण) के पीठासीन अधिकारी डॉ.दुष्यंत दत्त ने आरोपी को धारा 450 में 7 वर्ष का कठोर कारावास व 25 हजार तथा धारा 376 में 10 वर्ष का कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

पीडि़ता की साक्ष्य, स्वाभाविक व सत्य

न्यायालय ने सुनवाई के दौरान माना कि जिस पीडि़ता से बलात्कार हुआ है, उसे केवल शारीरिक क्षति ही नहीं पहुंचती बल्कि किसी चिरस्थायी लज्जा की गहरी भावना रहती है। पीडि़ता की साक्ष्य स्वाभाविक, सत्य, भरोसेमंद, विश्वसनीय एवं ठोस पायी गई है, प्रकरण में आई मौखिक एवं प्रलेखीय साक्ष्य, जिसका पूर्व में विस्तृत विवेचन किया गया है, उसमें भी पीडि़ता की साक्ष्य की सम्पुष्टि हुई है। ऐसे में बलात्संग की शिकार पीडि़ता की परिसाक्ष्य को अस्वीकार किए जाने का कोई कारण विद्यमान नहीं है।
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