असल में deepawali दीपावली पूजन के बाद गुजराती उदयपुर सहित मेवाड़ के टूर पर आ जाते है। ज्यादातर उदयपुर शहर भ्रमण के बाद एकलिंगजी होकर नाथद्वारा, कुंभलगढ़, द्वारिकाधीश होकर सांवलियाजी जाते है। वैसे गुजरात में दीपावली बाद कुछ दिन व्यापारी घूमने ही निकलते है और उदयपुर टूर कनेक्शन भारी रहता है। वैसे नाथद्वारा में अन्नकुट के दर्शन करने के बाद भी tourist पर्यटक सीधे यहां आ जाते है, झीलों की नगरी ने पर्यटको का बूम रहता है। इस बार नाथद्वारा में भी पर्यटकों की संख्या कम रही। उदयपुर में खेंखरे के साथ ही पर्यटकों की संख्या बढ़ जाती है जिससे शहर के अंदरूनी इलाकों व पर्यटन स्थलों पर जाम लग जाता है लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस बार किसी भी पर्यटन स्थल व सडक़ों पर जाम की स्थिति नही रही। टैक्सी व ऑटो चालकों ने बताया कि शहर के सिटी पैलेस, जगदीश चौक, गणगौर घाट, दूधतलाई, फतहसागर, सहेलियों की बाड़ी, सज्जनगढ़ आदि स्थलों पर पर्यटकों की संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार 20 से 30 प्रतिशत ही रही। यातायात पुलिसकर्मियों का कहना है कि वास्तव में इस सीजन में शहर की सडक़ों पर जाम रहता है लेकिन अभी कोविड का असर साफ दिखाई दे रहा है।
इनका कहना है… कोरोना महामारी, धार्मिक स्थल बंद होने के कारण पर्यटकों की संख्या कम रही। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार अभी 10 से 15 प्रतिशत पर्यटक आए है। शहर की अधिकांश होटल खाली है। मंगलवार को नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन खुलने के बाद कुछ पर्यटकों के बढऩे की उम्मीद है।
– भगवान वैष्णव, अध्यक्ष होटल एसोसिएशन
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पर्यटकों का ब्रेक जो लगा है, वह कोरोना की वजह से ही। गत वर्ष के मुकाबले इस बार पर्यटक कम दिखे, नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन बन्द होना भी इसका मुख्य कारण है।
– जतिन श्रीमाली, होटल व्यवसायी
दीपावली व खेंखरे के बाद रेस्टोरेंट में फुर्सत नही मिलती थी लेकिन इस बार कोरोना का बड़ा असर हमारे व्यवसाय पर दिखा है। आवागमन के साधन बन्द होने से भी पर्यटक कम आए है। वैसे हमने कोविड से बचाव को लेकर काफी सावधानी व सर्तकता रख रखी है।
-गुरुदत्त वशिष्ठ, रेस्टोरेंट व्यवसायी