विकास के नाम पर विनाश करने में लगा प्रशासन, गुलाबबाग को भी खत्म करने आमदा
उदयपुरPublished: Jan 29, 2020 11:53:25 am
विकास के नाम पर विनाश करने में लगा प्रशासन, गुलाबबाग को भी खत्म करने आमदा
विकास के नाम पर विनाश करने में लगा प्रशासन, गुलाबबाग को भी खत्म करने आमदा
मोहम्मद इलियास/उदयपुर
स”ाननिवास (गुलाबबाग) उद्यान परिसर में किशनपोल-खांजीपीर मार्ग पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन पार्किंग पर न्यायालय ने मूल वाद के निस्तारण तक रोक लगा दी। दो अधिवक्ताओं की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को न्यायालय ने स्वीकार कर कहा कि स”ान निवास उद्यान राजस्थान पब्लिक पार्क के तहत नोटिफाइड है, जहां निर्माण निषेध है। अगर विवादित स्थल पर कराए जा रहे निर्माण कार्य को नहीं रोका गया तो पब्लिक धन की हानि होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।न्यायालय ने यह निर्णय सुरेशचन्द्र अग्रवाल बनाम नगर निगम व अन्य के मामले में अधिवक्ता विजय कुमार चौहान व महेश बागड़ी की ओर से पेश एक अन्य प्रार्थना पत्र में दिया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद माना कि राजस्थान पब्लिक पार्क रूल्स में स्पष्ट है कि राजस्थान पब्लिक पार्क के तहत नोटिफाइड पार्क में अवैध निर्माण निषेध है, उसमें स”ान निवास उद्यान का भी उल्लेख है। स”ान निवास पार्क नोटिफाइड पार्क है एवं उक्त रूल्स के तहत उसके मूल रूप को परिवर्तित करना निषेध है। विपक्षियों को आदेश दिया कि वह मूल प्रार्थना पत्र के निस्तारण तक स”ान निवास पार्क के वादग्रस्त स्थल पर पार्किंग का निर्माण कार्य न कर न हीं कराए।– यह था मामलापरिवादियों ने प्रार्थना पत्र में बताया कि स”ान निवास पार्क के दक्षिण की तरफ उद्यान की भूमि में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मनमर्जी से पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है, जो कि गैर कानूनी है। इस उद्यान का क्षेत्रफल 66 एकड़ है तथा चारों तरफ आम सडक़ व उद्यान की भूमि है। इस उद्यान में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य करवाना संभव नहीं है, इसके बारे में जानते हुए भी विपक्षी वहां उद्यान की जमीन पर 25 हजार वर्गफीट पार्किंग का निर्माण करवा रहे हैं, जो गैरकानूनी है। इस उद्यान का स्वामित्व सार्वजनिक निर्माण विभाग के उद्यान अधीक्षक का है, जिनसे किसी प्रकार की आज्ञा लिए बिना विपक्षी उक्त अवैध निर्माण करवा रहे हंै। वहां निर्माण रोका नहीं गया तो प्रदूषण होगा और पक्षियों का रहना दूभर हो जाएगा।
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विभागों ने दिए अपने-अपने तर्क
– वरिष्ठ उद्यान अधीक्षक पीडब्ल्यूडी संतराम मीणा ने कोर्ट में बताया कि जिस जमीन पर निर्माण हो रहा है, वह पीडब्ल्यूडी की है, जिस पर किसी तरह की निर्माण स्वीकृति नहीं ली गई। पूर्व में यह भूमि वन विभाग को दी गई थी जहां शेर-चीतों के लिए पाड़े कटते थे। वर्तमान में उसे अंतरित कर दिया गया। सम्पूर्ण भूमि पीडब्ल्यूडी की मिल्कियत है। विरोध स्वरूप कई बार पत्र लिखे जा चुके हंै फिर भी निर्माण कार्य करवाया जा रहा है, जिसे करवाए जाने का अधिकार नहीं है।
– स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की ओर से बताया कि उद्यान के दक्षिण की तरफ स्थित भूमि पर जिस पार्किंग का निर्माण करवाया जा रहा वह निर्माण वन विभाग को उनके कार्यालय की बिल्ंिडग का हर्जा खर्चा देने के बाद वहां पब्लिक यूटिलिटी के लिए निर्माण किया जा रहा है। प्रतिवादी एक सरकारी कंपनी है, यह कंपनी भारतीय संविधान के आर्टिकल 12 के तहत रा’य की श्रेणी में आती है और किसी भी रा’य के विभाग से प्रोजेक्ट निष्पादित करने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है।