उदयपुर

जंगलों में आग बुझाने के लिए आबू पैटर्न भी अपना सकते

अब तक जंगल में आग लगते ही स्टाफ भागता, होना यह चाहिए कि स्टाफ संसाधन से लैस हो
 

उदयपुरFeb 23, 2021 / 07:02 pm

Mukesh Hingar

जंगलों में आग बुझाने के लिए आबू पैटर्न भी अपना सकते

उदयपुर. गर्मी शुरू होते ही मेवाड़ के जंगल धधकने लगते है। एक ही दिन में एक से ज्यादा मगरों पर आग की लपटे उठ जाती है। वन विभाग का उसी पुराने ढर्रे से आग बुझाने के लिए दौड़ पड़ता है। गांव वालों की मदद भी ली जाती है और दमकल जो पहाड़ पर नहीं पहुंच सकती लेकिन जितना पास हो वहां तक पहुंच जाती है। इतना सब होने के बाद भी आग पर नियंत्रण नहीं भी होता है। अब आग बुझाने वाली टीम को भी बदलना होगा और उनको संसाधन भी देने होंगे। सिरोही जिले के माउंट आबू में वन विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया और संसाधन से लैस भी किया, वैसा ही पैटर्न यहां अपना सकते है।
यह बातें सोमवार को उदयपुर संभाग के वन क्षेत्रों में फरवरी से जून के महीने में लगने वाली दावानल की रोकथाम रोकथाम एवं नियंत्रण पर यहां आरएससीईआरटी सभागार आयोजित कार्यशाला में सामने आई। मुख्य वन संरक्षक आर.के. सिंह ने कहा कि वन क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने, अत्याधुनिक फायर उपकरण का उपयोग हो।
उप वन संरक्षक बालाजी करी ने स्टाफ को आवश्यक उपकरण एवं स्वयं के बचाव के लिए आवश्यक सामग्री, अग्नि पट्टिका एवं अग्नि प्रबंधन के बारे में बताया। उन्होंने माउण्ट आबू के जंगलों में आग पर नियंत्रण को लेकर किए नए प्रयोग को लेकर भी प्रजेंटेशन दिया।
पर्यावरणविद् डॉ. सतीश शर्मा ने जंगलों में लगने वाली आग, नुकसान, आर्थिक आंकनल, अग्नि का समय, वनस्पति, वन्यजीव पर पडऩे वाले दुरगामी परिणाम एवं भारतीय वन नीति के साथ विधिक जानकारी दी। डिप्टी कंट्रोलर सिविल डिफेंस अमित शर्मा ने अग्नि की रोकथाम, अग्नि उपकरण एवं तकनीकी एफएसआई अलर्ट सिस्टम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। वन संरक्षक आर.के.जैन ने प्रशिक्षण का उद्ेश्य एवं संभाग स्तरीय 4 दिवसीय कार्यशाला के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उप वन संरक्षक मुकेश सैनी, अशोक महरिया, सहायक वन संरक्षक, ओ.पी.सुथार, संजय गुप्ता आदि ने भी विचार रखे। डीएफओ करी नेे बताया कि मंगलवार 23 फरवरी संभाग के वनमण्डल बांसवाडा, प्रतापगढ़ एवं चिश्रौडगढ़ के क्षेत्रीय वन अधिकारी, वनपाल एवं वनरक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

कार्यशाला में ये सुझाव भी आए
– जंगलों के पास रहने वाले लोगों की भागीदारी बढ़ाए
– जंगल की आग बुझाने में मदद करने वाले ग्रामीण भी प्रशिक्षित हो
– जंगल के स्टाफ को भी आवश्यक उपकरण से लैस किया जाए
– स्टाफ को पूरा प्रशिक्षण दिया जाए
– मनरेगा स्कीम के तहत फायर लाइन बनाई जाए

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