श्रेया ने बताया कि उसने बैचलर्स इन कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग करने के बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस में एक साल काम किया। उसका सपना अब्रॉड में हायर एजुकेशन का था तो यूरोपियन यूनिवर्सिटीज में एप्लाई के लिए स्टूडेंट्स को अब्रॉड भेजने वाली कई संस्थाओं से संपर्क साधा, लेकिन कहीं से भी सही गाइडेंस नहीं मिला। ऐसे में खुद ने ही अपने स्तर पर कोशिश की तो हंगरी में 100 प्रतिशत ट्यूशन स्कॉलरशिप के साथ फ्री अकॉमोडेशन व एडिशन मंथली स्टाइपेंड की सुविधा भी मिली। जब वे वापस आई तो लोगों ने उनसे ऐसी स्कॉलरशिप पाने का तरीका पूछा तब ही उन्हें स्टार्टअप का आइडिया मिला, जिससे वे दूसरों की मदद कर सके। इसके बाद 28 जून, 2019 को ‘एब्रॉएजुशिप’ का स्टार्टअप शुरू किया। इसके तहत वे स्टूडेंट्स की प्रोफाइल के अनुसार यूनीक स्कॉलरशिप ढूंढते हैं, एप्लीकेशन प्रोसेस में हेल्प करते हैं। अब वीजा की भी हेल्प करना शुरू कर दिया। वहीं, फ्री कॅरियर काउंसलिंग भी करते हैं। इसमें श्रेया की मदद उनकी बहन भी करती हैं।
श्रेया ने बताया कि स्टार्टअप को अच्छा रेस्पांस मिल रहा है। शुरुआती 3 महीने में ही पूरे भारत से 680 क्वेरीज उनके पास आईं। अब तक उन्होंने 180 स्टूडेंट्स को हायर एजुकेशन स्कॉलरशिप दिलाने में मदद की। स्कॉलरशिप के लिए अब तक श्रेया 18 देशों की यात्रा भी कर चुकी हैं। श्रेया ने बताया कि युवा उद्यमी के बतौर उन्हें पिछले साल दिसंबर में एसोचैम की ओर से आयोजित कार्यक्रम में निमंत्रण भी मिला था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे।