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गणेशचतुर्थी पर विध्नहर्ता ने सारे हर लिए विध्न, सलामती के साथ लौटा दिया मेरा सुहाग

locationउदयपुरPublished: Sep 17, 2021 08:10:07 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

गणेशचतुर्थी पर विध्नहर्ता ने सारे हर लिए विध्न, सलामती के साथ लौटा दिया मेरा सुहाग

गणेशचतुर्थी पर विध्नहर्ता ने सारे हर लिए विध्न, सलामती के साथ लौटा दिया मेरा सुहाग

गणेशचतुर्थी पर विध्नहर्ता ने सारे हर लिए विध्न, सलामती के साथ लौटा दिया मेरा सुहाग

मोहम्मद इलियास/उदयपुर
गणेशचतुर्थी पर विध्नहर्ता ने हमारे सारे विध्न हर लिए और पति को सकुशल हमारे पास लौटा दिया। भगवान ने आज जो आशीर्वाद दिया है वो किसी मुंहमांगें वरदान से कम नहीं है। ये दिन भुलाए नहीं भुला सकेंगे। यह कहना था साइप्रस बंदरगाह एमवी मैरीन नाम के एक जहाज में फंसें शहर के ट्रेजर टाउन में निवासी श्वेता सिंह राठौड़ का। श्वेता के को-पायलट पति संजीव सिंह 10 भारतीय व 3 विदेशियों के साथ इस जहाज में फंसे हुए थे। जहाज के संचालक उन्हें भारत द्वारा प्रतिबंधित किए सीरिया लिबनान जाने का दबाव बना रहा। मना करने पर उनका खाना पीना रोक दिया गया और लगातार धमकियां दी जा रही थी। छह दिन पहले जब श्वेता को पति ने पूरी कहानी बताई तो परिजनों होश उड़ गए। पति व सभी भारतीयों की सलामती के लिए वे दुआएं मांगने साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन, सांसद अर्जुन लाल मीणा, लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला को मामला बताया था। राजस्थान पत्रिका ने भी इस पीड़ा को प्रमुखता से प्रकाशित की। जनप्रतिनिधियों की मदद व समाचार पत्रों के प्रकाशित खबरों के बाद विदेश मंत्रालय ने भारतीयों की मदद में जुटा। दूतावास की मदद से संजीव सिंह व उनके सभी भारतीय साथी शुक्रवार को स्वदेश लौटा आए।

भगवान का लिया आशीर्वाद
पति के सकुशल लौटने पर श्वेता सिंह की आंखें खुशी से छलक पड़ी। पति संजीव के घर पहुंंचते ही पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सभी बोहरागणेशजी मंदिर पहुंची और भगवान का आशीर्वाद किया। परिवार ने जनप्रतिनिधियों के साथ ही पत्रिका का भी साभार जताया। कहा कि पत्रिका ने जिस तरह हमारी पीड़ा को प्रकाशित कर साथ दिया पूरा परिवार भूल नहीं पाएंगें।

सीरिया जाने का दबाव बनाया, मना किया तो धमकियां दी
छह माह बाद सकुशल घर लौटे को-पायलट पति संजीव सिंह ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि कंपनी से जॉब ऑफर आने पर वह 10 भारतीयों के साथ पहले कतर व फिर पोसलो गए थे। वहां से नार्वे में शिप पर पहुंचे वो तैयार नहीं था। उसे तैयार कर हार्विज इंग्लैंड गए। इस दौरान बंकर से लेकर खाना-पीने का सामान कम था। वहां से जैसे तैसे साइप्रस पहुंचे। ऑनर व अन्य ने उन्हें बाद में सीबिया लिबनान जाने के लिए कहा। भारत द्वारा प्रतिबंधित होने व वॉर कंट्री होने से जाने से मना कर दिया तो उन्होंंने पहले खाना-पीना कर दिया। फिर जेल भेजने की धमकियां दी। जब नहीं माने तो काफी परेशान किया। बाद में विदेश मंत्रालय को पता चलने पर उन्होंने दूतावास के जरिए पूरी मदद करवाई।

गलत टिकट दिए एक रात एयरपोर्ट के बाहर गुजारी
संजीव ङ्क्षसह ने बताया कि विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद पहले सारी सुविधाएं मिली। बाद में उन्हें एयर टिकट दिए। जब वह टिकट लेकर एयरपोर्ट पर पहुंचा वह बंद मिला। जिस फ्लाइट के वह टिकट थे वह जा चुकी थी। एक रात सभी ने एयरपोर्ट पर गुजारी उसके बाद नए टिकट दिए गए। उसके बाद वह इस्तांबुल, दोहा होकर मुंबई पहुंचे। वहां से सीधे डबोक एयरपोर्ट आए।
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