उदयपुर

सागवान का जंगल हो गया गायब

जमीन निगल गई या आसमान खा गया, ओड़ा नाका के खादरा जंगल में नहीं बचे सागवान के पेड़, चालीस साल पहले तत्कालीन सरपंच ने लगाए थे 500 पौधे

उदयपुरJan 19, 2019 / 02:19 am

Pankaj

सागवान का जंगल हो गया गायब

मदनसिंह राणावत. झाड़ोल . ग्राम पंचायत की लापरवाही के चलते जंगल में हरे पेड़ों का कटान बदस्तूर जारी है। सूचना देने पर भी ग्राम पंचायत द्वारा अभी तक कार्यवाही नहीं करते हैं। जिससे वन माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि दिन दहाड़े ही बिना किसी अनुमति के हरे भरे पेड़ काट रहे हैं।
झाड़ोल तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर ओड़ा नाका क्षेत्र में खादरा गांव का जंगल। करीब 40 साल पहले तत्कालीन सरपंच ने क्षेत्र को विशेष पहचान दिलाने और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सागवान के 500 पौधे लगाए थे। बीते समय में ग्राम पंचायत इस धरोहर को नहीं संभाल पाई। सागवान के पेड़ों से लकदक रहने वाला जंगल उझड़ चुका है।
करीब ४० साल पहले तत्कालीन सरपंच गिरधारीलाल कृष्णावत ने ग्रामीणों के साथ अभियान चलाकर क्षेत्र में सागवान के 500 पौधे लगाकर संरक्षण किया। जब तक पौधे बड़े हुए सुरक्षा का जिम्मा ग्राम पंचायत के माध्यम से संभाला जाता रहा। पूर्व सरपंच गिरधारीलाल का निधन होने के बाद उनके भाई चन्द्रसेन कृष्णावत सरपंच बने। इस दरमियान भी सागवान के इस जंगल की देखरेख ग्राम पंचायत और संरक्षण समिति के माध्यम से की गई। इसके बाद पूर्व संरपच के पुत्र प्रेमचन्द्र कृष्णावत सरपंच बने और उन्होंने भी पिता गिरधारीलाल के नेतृत्व में बनी धरोहर का संरक्षण जारी रखा। इस दरमियान भी सागवान पेड़ साबुत रहे। साथ ही बड़ी संख्या में नए पौधे प्रस्फुटित हुए और सागवान पेड़ों की तादाद हजारों में बदल गई।
अब हालात विपरित हो गए हैं। वर्तमान में ग्राम पंचायत की जिम्मेदारियों में सागवान के इस जंगल की देखरेख को निकाल दिया गया है। देखरेख के अभाव में यह जंगल तस्करों की भेंट चढ़ता जा रहा है। खुलेआम सागवान के पेड़ काट ले जाए जा रहे हैं। संरक्षण समिति और ग्रामीणों की ओर से कई बार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।
दीवार तोड़ बनाया रास्ता
ग्रामीणों ने बताया कि ओड़ा जंगल के चारों ओर चारदीवारी बना रखी थी, लेकिन तस्करों ने दीवार को भी तोड़कर जंगल के बीच वाहन पहुंचाने के लिए रास्ता बना दिया। अब दिन-रात वाहन जंगलों में लेजाकर सागवान के पेड़ों की तस्करी हो रही है।
पंचायत और वन विभाग बेपरवाह
ओड़ा के जंगल में सागवान पेड़ों की बेतरतीब कटाई को लेकर पंचायत और वन विभाग से जब बात किया गया तो वन विभाग ने इसे पंचायत का हिस्सा बताया। जबकि ग्राम पंचायत इस जंगल को संभालने को लेकर बेपरवाह है। दोनों जिम्मेदारों के की लापरवाही के बीच जंगल उझड़ता जा रहा है। इस बात को लेकर पर्यावरण प्रेमी ग्रामीण चिंतित है।
मुझे जानकारी नहीं…
ओड़ा के जंगल में सागवान के पेड़ काफी थे। तस्कर सागवान के पेड़ काट रहे हैं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। ग्राम पंचायत की ओर से सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी।
खातुराम परमार, सरपंच, ग्राम पंचायत ओड़ा
क्षेत्र वन विभाग के अधीन नहीं…
ओड़ा नाका के जंगल में जो सागवान संरक्षित क्षेत्र है, वह ग्राम पंचायत की जमीन है। यह क्षेत्र वन विभाग के अधीन नहीं है। विभाग के पास होता तो निश्ििचत ही संरक्षण करवाया जाता।
विजेन्द्र सिंह सिसोदिया, रेन्जर, वनविभाग ओगणा

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